सीधी, मध्यप्रदेश।
जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल देती है। सीधी जिले के सेमरिया स्वास्थ्य केंद्र से एक ऐसा ही शर्मनाक और संवेदनहीन मामला सामने आया है, जिसने न केवल व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इंसानियत को भी झकझोर कर रख दिया है।
जहरीले सांप के काटने से मासूम की मौत
मामला जिले के ग्राम कुशमहर का है, जहां 13 वर्षीय रूबी सिंह गोंड, पिता रामनरेश सिंह गोंड, रोज़ की तरह रात को खाना खाकर अपने बिस्तर पर सोने चली गई। लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि वह रात उसकी ज़िंदगी की आख़िरी रात होगी। रात के समय बिस्तर में छिपे जहरीले सांप ने रूबी को डस लिया।
परिजनों को शुरुआत में यह समझ नहीं आया कि लड़की की तबीयत अचानक क्यों बिगड़ रही है। जब हालत गंभीर होने लगी और सांप काटने की आशंका हुई तो परिजन तुरंत उसे सेमरिया स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर्स ने भरसक प्रयास किया, पर उपचार के दौरान ही मासूम की मौत हो गई।
शव वाहन के लिए घंटों भटकते रहे परिजन
बच्ची की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन अफसोस की बात यह रही कि इस दुखद घड़ी में भी सिस्टम ने उन्हें सहारा देने की बजाय और ज़्यादा बेबस बना दिया। मासूम के शव को घर ले जाने के लिए परिजन घंटों तक शव वाहन के लिए भटकते रहे, लेकिन कोई भी गाड़ी उपलब्ध नहीं कराई गई।
परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे खुद से शव ले जाने का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे थे। सरकारी अस्पताल का शव वाहन न मिलने से परिजनों की तकलीफें और बढ़ गईं। लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों से बार-बार निवेदन किया, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।

समाजसेवी आगे आए, चंदा इकट्ठा कर शव भेजा गया घर
जब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह निष्क्रिय साबित हुए, तब स्थानीय समाजसेवी प्रभात वर्मा ने मानवीय संवेदना दिखाते हुए मोर्चा संभाला। उन्होंने ग्रामीणों से चंदा इकट्ठा किया और एक ऑटो किराए पर लेकर बच्ची के शव को उसके गांव तक पहुंचाने का प्रबंध किया।
ग्रामीणों ने इस अमानवीय स्थिति पर गहरा रोष जताया और स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। उन्होंने मांग की कि स्वास्थ्य केंद्रों में शव वाहन की व्यवस्था हमेशा उपलब्ध होनी चाहिए, ताकि किसी grieving परिवार को ऐसे हालातों का सामना न करना पड़े।
सेमरिया स्वास्थ्य केंद्र पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब सेमरिया स्वास्थ्य केंद्र सवालों के घेरे में आया हो। इससे पहले भी यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर स्थिति, स्टाफ की अनुपलब्धता और आपातकालीन सेवाओं की कमी को लेकर कई बार शिकायतें मिल चुकी हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
अब सवाल यह है – आखिर कब सुधरेगी व्यवस्था?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सिस्टम की लापरवाही आम नागरिक की ज़िंदगी को कैसे प्रभावित करती है। अगर समय पर सांप काटने के बाद सही इलाज मिल पाता और शव वाहन उपलब्ध होता, तो शायद इस दुखद स्थिति से बचा जा सकता था।
यह भी पढ़िए – सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने पेश की इंसानियत की मिसाल, दुखी परिवार को दिलाया न्याय और सम्मान
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या ऐसे हालात दोबारा ना हों, इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।