सीधी: सीधी जिले के बाहरी तहसील अंतर्गत संकुल केंद्र तरका के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बारपान में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। विद्यालय में चल रही मनमानी और अव्यवस्था के चलते विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जहां एक तरफ सरकार स्कूलों में बेहतर शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं देने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर बारपान विद्यालय में विद्यार्थियों को जरूरी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।
विद्यालय में तानाशाही का आलम
इस मामले की गंभीरता का पता तब चला जब स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विद्यालय की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। यहां के प्रधानाध्यापक की तानाशाही रवैया और जवाबदेही की कमी को लेकर सवाल उठाए गए। जब विद्यालय की अनियमितताओं को लेकर सवाल किया गया, तो प्रधानाध्यापक ने ऐसे जवाब दिए, जैसे उनके निजी संपत्ति पर कोई आक्रमण कर रहा हो। उनका यह अकड़पन यह दर्शाता है कि विद्यालय में किसी प्रकार की कोई जवाबदेही नहीं है और शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से हावी है।
शौचालय का नाममात्र का निर्माण
विद्यालय में शौचालय तो बना हुआ है, लेकिन वह उपयोगी स्थिति में नहीं है। बताया गया कि शौचालय के बाहर ताला लटका हुआ है और विद्यार्थी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं। यह न केवल बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि यह विद्यालय प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करता है।
इससे भी बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सरकारी बजट से विद्यालय में शौचालय का निर्माण कराया गया था, तो आखिर क्यों यह ताला लटका हुआ है और बच्चे खुले में शौच कर रहे हैं? यह स्थिति शिक्षा विभाग और सं-बंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।
सफाई के लिए भी विद्यार्थियों को किया जाता है मजबूर
इसके अलावा, विद्यालय में सफाई की स्थिति भी बेहद खराब है। विद्यार्थियों ने बताया कि स्कूल में झाड़ू-पोंछा लगाने की जिम्मेदारी उन्हें दी जाती है। जब इस बारे में प्रधानाध्यापक से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि चपरासी का पद खाली है, और बच्चों को ही यह काम करना होता है। यह न केवल बच्चों की शिक्षा में विघ्न डालता है, बल्कि उनकी स्वच्छता और मानसिकता पर भी बुरा असर डालता है।
जब कोई सरकारी कर्मचारी बच्चों से इस तरह के काम कराता है, तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। विद्यालय में बच्चों के लिए एक उपयुक्त वातावरण सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, लेकिन यह स्थिति यह दर्शाती है कि विद्यालय में सुधार की कोई कोशिश नहीं हो रही है।
बच्चों का भविष्य संकट में
इस तरह की अनियमितताएं और लापरवाही विद्यार्थियों के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए सरकारी विद्यालय ही एकमात्र सहारा होते हैं, जहां वे शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन जब उस शिक्षा के माहौल में ऐसी अव्यवस्था हो, तो इन बच्चों का भविष्य कैसे संवर सकता है?
सरकार द्वारा दिए गए संसाधनों का सही उपयोग न होने और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते इन बच्चों को बेहतर शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं मिलनी तो दूर की बात, उनका स्वास्थ्य भी खतरे में है। यह स्थिति बच्चों के लिए बहुत चिंताजनक है।
जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यवाही की आवश्यकता
अब सवाल यह उठता है कि इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है? क्या संबंधित अधिकारी और शिक्षा विभाग इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएंगे या फिर यह मामला ऐसे ही निपट जाएगा? अगर कोई घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
यह भी पढ़ें:- सीधी:- डिलीवरी के नाम पर नर्स ने मांगी रिश्वत, नहीं देने पर नहीं दिया डिस्चार्ज पेपर
साफ तौर पर यह देखा जा सकता है कि विद्यालय में सुधार की जरूरत है। यहां के प्रधानाध्यापक का तानाशाही रवैया और उनकी लापरवाही शिक्षा व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। अधिकारियों को इस मामले की जांच करनी चाहिए और प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए ताकि बच्चों को एक सुरक्षित और बेहतर वातावरण मिल सके।
निष्कर्ष
बारपान विद्यालय में जो अव्यवस्था देखने को मिल रही है, वह न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। इस मामले में सरकार और संबंधित विभागों को गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है। यह मामला शिक्षा के अधिकार और बच्चों के भविष्य से जुड़ा है, और अगर इसमें जल्द सुधार नहीं हुआ तो यह भविष्य में बड़े मुद्दे पैदा कर सकता है।