सीधी जिले में क्षतिग्रस्त हो चुके हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के मरम्मत के लिए लोक शिक्षण संस्थान द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भेजी गई राशि में करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला उजागर हुआ है। आरोप है कि संविदाकार सांसद और विधायकों से स्कूल मरम्मत की अनुशंसा कराकर लोक शिक्षण संस्थान भोपाल में पत्र जमा कराते हैं और 3 से 5 प्रतिशत कमीशन देकर राशि सीधे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भिजवा देते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी बिना तकनीकी प्राक्कलन तैयार कराए ही ठेकेदार को विद्यालय मरम्मत का कार्य सौंप देते हैं और निर्माण कार्य के नाम पर भुगतान कर देते हैं।
जर्जर भवनों के मरम्मत के लिए आया करोड़ों का बजट
सीधी जिले में कई स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं, जिनकी मरम्मत और रंगरोगन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का बजट पिछले दो वर्षों में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराया गया था। आरोप है कि डीईओ ने विद्यालयों के प्राचार्यों पर दबाव बनाकर ठेकेदार के निर्देशानुसार निर्माण कार्य के भुगतान हेतु प्रतिवेदन कार्यालय में मंगवाए और उसी आधार पर ठेकेदारों को भुगतान किया गया।
एक ही ठेकेदार को सौंपा गया पूरा कार्य
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लोक शिक्षण संस्थान से मिली राशि को एक ही ठेकेदार को अधिकांश विद्यालयों के मरम्मत कार्य सौंपे जाने का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, द्विवेदी ब्रदर्श को रामपुर नैकिन, कुसमी, सिहावल, मझौली आदि विकासखंडों की अधिकांश स्कूलों के मरम्मतीकरण का कार्य डीईओ द्वारा सौंप दिया गया है। बताया गया है कि यह ठेकेदार लोक शिक्षण संस्थान में कमीशन देकर बजट लाते हैं और फिर जिला शिक्षा अधिकारी को मोटा कमीशन देकर मरम्मत कार्य का ठेका प्राप्त कर लेते हैं।

18 स्कूल भवनों के लिए स्वीकृत हुए थे 50 लाख
स्कूल शिक्षा विभाग ने जिले के 18 विद्यालय भवनों के मरम्मत के लिए 50 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया था। इनमें:
- हायर सेकेण्ड्री कन्या स्कूल पतुलखी – 5 लाख
- हाई स्कूल गहिरा – 3 लाख
- हाई स्कूल कन्या सिहावल – 3 लाख
- हाई स्कूल पोंड़ी – 3 लाख
- हाई स्कूल सपही – 2 लाख
- हाई स्कूल करौलीकला – 2 लाख
- हायर सेकेण्ड्री तरका – 2 लाख
इस तरह, कुल 18 स्कूलों के लिए राशि जारी की गई, लेकिन अधिकांश स्कूलों में मरम्मत कार्य अधूरा है।
प्रशासन से जांच की मांग
जिला पंचायत सीधी के उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्रीमान सिंह ने कहा कि विद्यालयों में मरम्मत कार्य की आवश्यकता पर चर्चा नहीं की जाती। बिना तकनीकी प्राक्कलन और मूल्यांकन के सरकारी राशि का व्यय नहीं किया जा सकता। यदि बिना मूल्यांकन के ठेकेदारों को भुगतान हुआ है, तो इसकी जांच जरूरी है।
ऋषिराज मिश्रा, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत रामपुर नैकिन ने कहा कि स्कूल मरम्मत के नाम पर डीईओ और ठेकेदार ने मिलकर शासन को लाखों की क्षति पहुंचाई है, जिसकी जांच कराकर दोषियों से राशि वसूली जानी चाहिए।
डॉ. प्रेमलाल मिश्रा, जिला शिक्षा अधिकारी सीधी ने कहा कि जिन विद्यालयों में मरम्मत कार्य सही तरीके से नहीं हुआ है, उनकी जांच कराकर संबंधित ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।
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शिक्षा विभाग में मरम्मत कार्य के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि सरकारी धन का सही उपयोग हो सके और छात्रों को बेहतर शिक्षण सुविधाएं मिल सकें।