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सीधी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई: छोटे दुकानदारों का गुस्सा, प्रशासन पर पक्षपात के आरोप

सीधी, मध्य प्रदेश:
सीधी में रविवार को नगर पालिका प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई की। सुबह 11 बजे शुरू हुई इस कार्रवाई में दोपहर 2 बजे तक करीब 100 से अधिक दुकानों पर बुलडोजर चला। हालांकि, इस दौरान छोटे दुकानदारों ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल उनकी दुकानों पर कार्रवाई हो रही है, जबकि बड़े दुकानदारों और व्यापारियों को बख्शा जा रहा है।

छोटे दुकानदारों की नाराजगी

स्थानीय निवासी और छोटे दुकानदार शैलेंद्र कुमार सोनी ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उनका कहना है,

“हमारी छोटी-छोटी दुकानों को निशाना बनाया गया, जबकि पास ही बड़ी दुकानें हैं, जहां भी अतिक्रमण है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। प्रशासन के कुछ कर्मचारी पैसों की मांग करते हैं। जो पैसा देता है, उसकी दुकान बच जाती है।”

इस तरह के आरोपों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छोटे दुकानदारों का कहना है कि वे पहले से ही महंगाई और मंदी से जूझ रहे हैं, और अब उनकी दुकानों को हटाना उनकी आजीविका पर सीधा हमला है।

प्रशासन का पक्ष

नगर पालिका सीधी की मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) मिनी अग्रवाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 के तहत की जा रही है। उन्होंने बताया,

“अभी छोटी दुकानों पर कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद बड़ी दुकानों पर भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान चरणबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है, और सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।”

अग्रवाल ने कहा कि स्वच्छता और नगर की सुंदरता को बनाए रखने के लिए अतिक्रमण हटाना जरूरी है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यह कार्रवाई निष्पक्ष रूप से की जाएगी और किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा।

स्थानीय लोगों की चिंताएं

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई में पारदर्शिता की कमी है। छोटे दुकानदारों का आरोप है कि बड़े व्यापारियों पर कोई कार्रवाई न होने के पीछे प्रशासन की मिलीभगत हो सकती है।
एक दुकानदार ने कहा,

“हमारी दुकानें हटाई जा रही हैं, जबकि पास की बड़ी दुकानें जो सड़क पर पूरी तरह कब्जा किए हुए हैं, उन्हें कोई नहीं छू रहा। यह भेदभावपूर्ण रवैया है।”

इसके अलावा, नगर पालिका के कुछ कर्मचारियों पर रिश्वत लेने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। नागरिकों ने मांग की है कि प्रशासन अपनी कार्रवाई में पारदर्शिता लाए और बड़े और छोटे सभी अतिक्रमणकारियों पर समान रूप से कार्रवाई करे।

प्रभावित दुकानदारों की समस्या

जिन दुकानदारों की दुकानें हटा दी गई हैं, वे अब रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश दुकानदार ऐसे हैं, जिनकी आमदनी केवल रोजाना की बिक्री पर निर्भर करती थी।
एक दुकानदार ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा,

“हम छोटे व्यापारी हैं। हमारी आमदनी का एकमात्र जरिया यह दुकान थी। अब हम अपने परिवार का गुजारा कैसे करेंगे?”

आगे की कार्रवाई पर सवाल

हालांकि प्रशासन ने कहा है कि अगला कदम बड़े अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई का होगा, लेकिन छोटे दुकानदारों का कहना है कि यह सिर्फ एक बयान है और प्रशासन इस पर अमल नहीं करेगा।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि बड़े दुकानदार राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच के चलते बच जाते हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस मामले पर अब राजनीतिक हलकों में भी बहस शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने प्रशासन की इस कार्रवाई को गरीब विरोधी करार दिया है। एक स्थानीय नेता ने कहा,

“प्रशासन की यह कार्रवाई केवल छोटे दुकानदारों को निशाना बना रही है। यह गरीबों की आजीविका छीनने का प्रयास है।”

स्वच्छता और नगर विकास बनाम आजीविका

स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत शहर की सफाई और अतिक्रमण हटाने की मुहिम जरूरी है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि इस प्रक्रिया में किसी की आजीविका न छीनी जाए।
नगर पालिका प्रशासन ने दावा किया है कि यह कार्रवाई सभी के लिए समान है, लेकिन जनता के आरोप इसे संदेह के घेरे में ले जा रहे हैं।

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समाधान की आवश्यकता

प्रशासन को चाहिए कि वह इस अभियान को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से अंजाम दे। साथ ही, छोटे दुकानदारों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए ताकि उनकी आजीविका पर असर न पड़े।

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