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सीधी में गोपद नदी उफान पर: खर्रा घाट पुल दो घंटे रहा जलमग्न, हजारों लोगों की आवाजाही थमी

सीधी (म.प्र.)
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में शुक्रवार सुबह एक बार फिर प्रकृति का विकराल रूप सामने आया, जब गोपद नदी में अचानक आई बाढ़ के चलते खर्रा घाट पुल पूरी तरह जलमग्न हो गया। यह स्थिति सुबह करीब 10 बजे उत्पन्न हुई और लगभग दो घंटे तक बनी रही, जिससे 15,000 से ज्यादा ग्रामीणों की आवाजाही ठप हो गई।

मुख्य संपर्क मार्ग रहा बंद, जनजीवन अस्त-व्यस्त

गोपद नदी पर बना खर्रा घाट पुल भुईमाड़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यह पुल छह पंचायतों को तहसील मुख्यालय कुशमी, जिला मुख्यालय सीधी और पड़ोसी जिला सिंगरौली के कस्बों जैसे सरई से जोड़ता है। शुक्रवार सुबह अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने से पुल के ऊपर से पानी बहने लगा।

इस पुल पर आवागमन बाधित होने से न सिर्फ आमजन, बल्कि स्कूली छात्र, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी और व्यापारियों को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। लोग या तो पुल के दोनों छोर पर फंसे रहे या फिर वैकल्पिक मार्ग की तलाश में परेशान होते दिखे।

भुईमाड़ पुलिस रही मुस्तैद, रोका गया आवागमन

हालात की गंभीरता को देखते हुए भुईमाड़ पुलिस मौके पर पहुंची और सुरक्षा की दृष्टि से पुल पर ट्रैफिक रोक दिया गया। पुलिसकर्मी लगातार लोगों को समझाइश देते रहे कि जब तक जलस्तर सामान्य न हो, तब तक कोई भी पुल पार करने की कोशिश न करे। पुलिस की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई से किसी भी तरह की जनहानि होने से बचाव हो सका।

वाहनों की लगी लंबी कतारें, लोग इंतज़ार में रहे बेचैन

खर्रा घाट पुल के दोनों ओर वाहनों और राहगीरों की लंबी कतारें लग गईं। दोपहिया, चारपहिया और छोटे मालवाहक वाहन कई किलोमीटर तक लाइन में खड़े रहे। जो लोग पैदल यात्रा कर रहे थे, वे भी पुल पार करने को लेकर असमंजस में दिखे। कई बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों और पुलिस ने सहयोग किया।

लगभग 12 बजे दोपहर के बाद जब गोपद नदी का जलस्तर थोड़ा कम हुआ, तब जाकर पुलिस ने धीरे-धीरे आवागमन बहाल कराया। हालांकि, पुल पर बहते पानी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं, जिससे लोगों में भय और चिंता का माहौल देखा गया।

स्थानीयों ने की स्थायी समाधान की मांग

घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि गोपद नदी में बारिश के दौरान अक्सर पानी बढ़ जाता है, जिससे हर साल इस पुल पर यही स्थिति बनती है। पुल की ऊंचाई बढ़ाने या वैकल्पिक पुल निर्माण की मांग जोर पकड़ने लगी है।

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इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि अत्यधिक बारिश और कमजोर बुनियादी ढांचा किस तरह ग्रामीणों की रोजमर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे संवेदनशील स्थलों पर पूर्व चेतावनी और रियल-टाइम निगरानी की व्यवस्था की जाए, ताकि आने वाले समय में ऐसी परेशानियों से जनता को बचाया जा सके।

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