सीधी: सीधी जिले में नशे की दवाओं की अवैध बिक्री एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जहां एक ओर सरकार नशामुक्ति अभियान के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर शहर और ग्रामीण इलाकों में संचालित मेडिकल स्टोरों में नशीली दवाइयाँ आसानी से बिना डॉक्टर की पर्ची के उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह स्थिति चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि युवा वर्ग इन दवाओं का दुरुपयोग कर नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है।
नशे के कारोबार का बढ़ता प्रभाव
शहर के गली-मोहल्लों और स्कूल-कॉलेजों के आसपास नशे की हालत में युवाओं को देखना अब आम बात हो गई है। पेट्रोल सूंघना, सुलेशन सूचना, कोरेक्स सिरप, और नशीले टेबलेट्स जैसे पदार्थों का सेवन अब आम हो गया है। इसके अतिरिक्त, नाबालिग और युवा वर्ग स्पाक्समो टेबलेट, बेनेड्रिल, कोजोम, डाइलेक्स सिरप, प्रॉक्सीवान, नाइट्रोवेट, फोर्टबीन टैबलेट और बुटरम इंजेक्शन का इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहे हैं। ये सभी दवाइयाँ डॉक्टर की पर्ची के बिना नहीं दी जा सकतीं, लेकिन शहर के कई मेडिकल स्टोर संचालक चंद रुपयों के लालच में इन दवाओं को चोरी-छिपे बेच रहे हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर की संदिग्ध भूमिका
ड्रग इंस्पेक्टर की अनुपस्थिति और उनकी संदिग्ध भूमिका ने इस समस्या को और भी जटिल बना दिया है। मादक पदार्थों की श्रेणी में आने वाली दवाओं की बिना डॉक्टरी परामर्श के बिक्री पर प्रतिबंध है, लेकिन इसकी चोरी-छिपे बिक्री का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दुकान संचालक मोटी कमीशन की राशि के चलते इन दवाओं की बिना डॉक्टरी परची के बिक्री करते रहते हैं। इन दवाओं का सेवन इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि इनके सेवन से मुंह से गंध नहीं आती और नशे का कोटा पूरा हो जाता है।
कानूनी सख्ती की आवश्यकता
नशीली दवाओं की बिक्री और फैलाव को रोकने के लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। वर्तमान में, नशीली दवाइयों की विक्री करने वालों को कड़ी सजा नहीं मिल रही है, जिससे वे ऐसे काम करने की सोच भी नहीं छोड़ते। अगर कानून सख्त होगा, तो नशीली दवाइयों की बिक्री करने वाले भयभीत होंगे और इस पर अंकुश लगेगा। डाक्टरों की पर्ची के बिना किसी भी नशीली दवा की बिक्री पर रोक लगाई जानी चाहिए और अस्पतालों में भी ऐसे प्रावधान होने चाहिए कि मरीजों के जीवन की रक्षा के लिए डाक्टर बिना किसी बंधन के निर्णय ले सकें।
सीधी:- पुलिस अधीक्षक की कड़ी कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक डॉ. रविन्द्र वर्मा ने नशीला कारोबार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की है। उनके कार्यकाल के दौरान कई तस्कर जेल की सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इसके बावजूद, स्वास्थ्य विभाग और आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपनी कुर्सियों में बैठे रहते हैं, जबकि आबकारी विभाग के अधिकारी अक्सर सेटिंग बनाकर वसूली में लगे रहते हैं। इन विभागों द्वारा की गई कार्रवाई केवल मीटिंग तक सीमित रह जाती है, जिसका परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता है।
विशेषज्ञ की राय
वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. शिशिर मिश्रा ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “नशीली दवाओं के सेवन से गंभीर डीहाइड्रेशन, पेट का अल्सर, कैंसर, किडनी की बीमारियाँ और मानसिक अवसाद हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, नशे की दवाइयाँ निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर डालती हैं और अत्यधिक डोज लेने पर हार्ट अटैक की आशंका रहती है, जो मृत्यु का कारण बन सकती है।”
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सीधी जिले में नशीली दवाओं के कारोबार पर काबू पाने के लिए व्यापक और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा ताकि नशे की इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सके और युवाओं को सुरक्षित और स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सके।