सीधी: रीवा संभाग के कमिश्नर बीएस जामोद ने सीधी जिले में स्थित शासकीय आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर की प्रभारी प्राचार्य, श्रीमती रेखा सिंह को वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्यवाही जांच प्रतिवेदन के आधार पर की गई, जो तहसीलदार गोपदबनास की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
जांच में उजागर हुईं गंभीर अनियमितताएं
जांच के दौरान यह पाया गया कि श्रीमती रेखा सिंह ने परिसर के प्रबंधन और संचालन में एम.पी.सरस / एम.पी. टास के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। गणवेश की खरीद में भण्डार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया, और शासकीय धनराशि को व्यक्तिगत उपयोग में लाया गया। वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर जांच के समय तक बैंक द्वारा दिए गए ब्याज का गबन भी पाया गया। इसके अलावा, शासकीय आवास में निवास करते हुए भी उन्होंने आवासीय भत्ता लिया, जो एक गंभीर अनियमितता मानी गई है।


विधायक की शिकायत पर गठित हुई जांच समिति
सीधी की विधायक श्रीमती रीत्ती पाठक द्वारा की गई शिकायत के आधार पर जांच समिति का गठन किया गया था। इस चार सदस्यीय जांच टीम में तहसीलदार गोपदबनास, सहायक कोषालय अधिकारी, प्रभारी कनिष्ठ लेखा अधिकारी, और सहायक ग्रेड-3 जनजातीय कार्य विभाग के सदस्य शामिल थे। जांच प्रतिवेदन में वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान गणवेश का वितरण नहीं होने की बात सामने आई। इसके अलावा, वर्ष 2023-24 में भी 6वीं और 9वीं कक्षा की छात्राओं को गणवेश नहीं दिया गया था, जबकि इसके लिए 5 लाख 68 हजार 500 रुपये आहरित किए गए थे।
अन्य वित्तीय अनियमितताएं और सिफारिशें
जांच समिति ने यह भी पाया कि वर्ष 2022-23 में 8 लाख 34 हजार 500 रुपये की नई बिस्तर सामग्री और पुराने बिस्तरों के नवीनीकरण के लिए प्राप्त राशि का भी अनुचित उपयोग किया गया। समिति ने अपने प्रतिवेदन में यह अनुशंसा की है कि एफआईआर दर्ज कर खातों को होल्ड कराया जाए और सभी वित्तीय लेन-देन की विस्तृत जांच की जाए।
निलंबन का आदेश और अगली कार्रवाई
कमिश्नर बीएस जामोद द्वारा जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि श्रीमती रेखा सिंह ने अपने पद के दायित्वों का निर्वहन निष्ठापूर्वक नहीं किया और उनकी कार्यशैली मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करती है। इसलिए, उन्हें मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील नियम 1966 के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन की अवधि के दौरान उनका मुख्यालय सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, जिला सीधी में नियत किया गया है, और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
यह मामला एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और वित्तीय अनियमितताओं का उदाहरण है, जिसमें संबंधित अधिकारियों को सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। अब आगे की कार्रवाई और जांच से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि इन अनियमितताओं में और कौन-कौन शामिल है और उनके खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।