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सीधी: शिक्षकों की क्रमोन्नति और संविलियन के आदेशों में देरी, आर्थिक क्षति का सामना कर रहे शिक्षक

सीधी जिले में अध्यापक शिक्षक संवर्ग के सदस्यों के लिए क्रमोन्नति आदेश और राज्य शिक्षा सेवा में संविलियन से छूटे शिक्षकों के आदेशों में देरी हो रही है। यह समस्या पिछले एक वर्ष से बनी हुई है, जिससे संबंधित शिक्षकों को प्रतिमाह भारी आर्थिक क्षति हो रही है। आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष हरीश मिश्रा और प्रांतीय उपाध्यक्ष विजय तिवारी ने इस संदर्भ में एक विज्ञप्ति जारी की है।

सीधी:- क्रमोन्नति के आदेशों में देरी

उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने 5 अक्टूबर 2023 को क्रमोन्नति आदेश जारी करने का निर्देश दिया था। इसके फलस्वरूप 21 फरवरी 2024 को एक सूची जारी की गई, लेकिन इस सूची में कई शिक्षकों के आदेश शामिल नहीं किए गए। यह स्पष्ट किया गया कि संकुल प्राचार्य द्वारा प्रस्ताव नहीं भेजा गया था, जिसके कारण क्रमोन्नति से छूटे शेष प्राथमिक शिक्षकों के आदेश अब तक जारी नहीं हो पाए हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने लगभग 10 महीनों से इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की है। साथ ही, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के क्रमोन्नति के लिए समयमान वेतनमान का प्रस्ताव भी संयुक्त संचालक कार्यालय रीवा को नहीं भेजा गया है। इसके परिणामस्वरूप, सिंगरौली और रीवा के शिक्षकों के आदेश तो जारी हो गए हैं, लेकिन सिधी जिले के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों को अभी भी इंतज़ार करना पड़ रहा है। इससे उन्हें प्रतिमाह 4 से 6 हजार रूपए का नुकसान हो रहा है।

प्रशासनिक लापरवाही

आजाद अध्यापक शिक्षक संघ ने कई बार ज्ञापन और मौखिक आग्रह किए हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते कोई समाधान नहीं निकला है। शिक्षकों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी संकुल प्राचार्य से प्रस्ताव मंगाने तक ही सीमित हैं, जबकि समस्या का वास्तविक समाधान आवश्यक है। बार-बार आदेश जारी होने का कोरा आश्वासन दिया जाता रहा है, जिससे शिक्षक समुदाय में असंतोष बढ़ रहा है।

शिक्षकों का आगे का कदम

दुखी शिक्षकों का यह समूह अब अपनी व्यथा सांसद, विधायक और कलेक्टर के समक्ष रखने का निर्णय ले रहा है। यदि शीघ्र आदेश जारी नहीं होते हैं, तो वे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।

अध्यापक शिक्षक संवर्ग के कई शिक्षकों को बिना किसी अपराध के वर्षों से आर्थिक दंड का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। शिक्षकों की यह दुर्दशा शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ी चिंता का विषय है, और इससे स्पष्ट होता है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही सीधे तौर पर शिक्षकों के जीवन को प्रभावित कर रही है।

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निष्कर्ष

सीधी जिले के शिक्षकों की समस्या केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि समग्र शिक्षा प्रणाली के लिए भी एक गंभीर संकेत है। यह समय है कि संबंधित अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लें और शीघ्रता से उचित कार्रवाई करें, ताकि शिक्षकों को उनकी मेहनत का सही फल मिल सके। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह निश्चित रूप से शिक्षा प्रणाली के लिए नकारात्मक परिणामों का कारण बनेगा।

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