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सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने पेश की इंसानियत की मिसाल, दुखी परिवार को दिलाया न्याय और सम्मान

सीधी (म.प्र.)।
किसी जनप्रतिनिधि की असली पहचान तब होती है जब वह न सिर्फ मंचों पर भाषण देता है, बल्कि जमीनी स्तर पर जरूरतमंदों की मदद के लिए खुद को समर्पित करता है। सीधी लोकसभा सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने हाल ही में ऐसा ही उदाहरण पेश किया है, जिससे पूरे जिले में उनकी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचय मिला

एक मां की मौत और परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मूल रूप से सीधी जिले के पतुलखी गांव की रहने वाली कुशुम शाहू (25 वर्ष) की तबीयत प्रसव के बाद अचानक बिगड़ गई। पहले उन्हें सिंगरौली के नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां ऑपरेशन के बाद स्थिति और गंभीर हो गई। परिजन उन्हें बेहतर इलाज के लिए वाराणसी के पॉपुलर अस्पताल, और वहां से नागपुर के न्यू ईरा हॉस्पिटल ले गए।

लगातार 28 दिन तक इलाज चला, लेकिन कुशुम की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और अंततः नागपुर में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। यह खबर परिवार के लिए भावनात्मक और आर्थिक रूप से दोहरी मार बनकर आई।

अस्पताल ने शव रोक लिया, मांगा ₹2.75 लाख का भुगतान

कुशुम के निधन के बाद जब परिजनों ने शव को घर लाने की कोशिश की, तो अस्पताल प्रशासन ने ₹2.75 लाख का बिल थमाया और साफ कह दिया कि बिल की पूरी राशि चुकाए बिना शव नहीं सौंपा जाएगा। आर्थिक रूप से पहले ही टूट चुके परिवार के पास इतनी रकम नहीं थी।

सांसद डॉ. राजेश मिश्रा बने संकटमोचक

इस संकट की घड़ी में कुशुम के ससुर दर्दई शाहू ने सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा से संपर्क किया। सांसद ने मामले को तुरंत गंभीरता से लिया और नागपुर अस्पताल प्रबंधन से बात की
डॉ. मिश्रा की पहल और मानवीय अपील के बाद अस्पताल ने ₹2.75 लाख का बिल घटाकर ₹1.15 लाख कर दिया, जिससे परिजन शव प्राप्त कर सके।

शव लाने के लिए भी पैसे नहीं बचे, सांसद ने फिर मदद की

इतनी बड़ी मेडिकल खर्च के बाद परिवार के पास नागपुर से सीधी तक शव लाने के भी पैसे नहीं थे। इस पर डॉ. मिश्रा ने सीधी रेडक्रॉस सोसाइटी से मदद दिलवाई, और शव को सुरक्षित तरीके से गृहग्राम पहुंचाने की व्यवस्था करवाई। यह कार्य प्रशासनिक सहयोग और मानवीयता का अद्भुत संगम था।

सांसद की पहल बनी जनचर्चा का विषय

सीधी जिले में यह मामला जनता की चर्चा का विषय बन गया है। लोगों का कहना है कि सांसद डॉ. मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि वे केवल संसद तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जनता के दुःख-दर्द में उनके साथ खड़े भी होते हैं। इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर डॉ. मिश्रा की सराहना हो रही है।

ऐसे प्रतिनिधि पर जनता को होता है गर्व

जब देश भर में कई जनप्रतिनिधि संवेदनहीनता, भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों में घिरे हैं, ऐसे समय में डॉ. राजेश मिश्रा का यह कदम न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि यह भरोसा भी देता है कि सच्चे लोकसेवक अब भी मौजूद हैं। उन्होंने यह संदेश दिया कि जनता का प्रतिनिधि सिर्फ नीतियां बनाने वाला नहीं, बल्कि ज़रूरतमंदों का सहारा भी हो सकता है

राजनीति में इंसानियत की आवश्यकता

डॉ. मिश्रा द्वारा इस दुखद परिस्थिति में की गई मदद यह दर्शाती है कि राजनीति में संवेदनशीलता और मानवता अभी जीवित है। यह सिर्फ एक परिवार की मदद नहीं थी, यह एक नैतिक उदाहरण था, जो बताता है कि जनता का सच्चा प्रतिनिधि वह होता है जो हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ा रहे।.

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इस घटना ने न सिर्फ कुशुम शाहू के परिवार को राहत दी, बल्कि समाज को यह विश्वास भी दिलाया कि इंसानियत की भावना अब भी जिंदा है – बस उसे निभाने वाले लोगों की जरूरत है।

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