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सीबीआई कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती सीबीआई परीक्षा 2012 में फर्जीवाड़ा करने वाले 11 आरोपियों को सुनाई 7 साल की सजा

मध्य प्रदेश की बहुचर्चित व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) भर्ती घोटाले में एक दशक बाद बड़ा फैसला सामने आया है। भोपाल स्थित स्पेशल सीबीआई अदालत ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2012 में फर्जीवाड़ा और गड़बड़ी करने के मामले में 11 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने सभी दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

स्पेशल सीबीआई अदालत के जज नीतिराज सिंह सिसौदिया ने इस मामले में छह परीक्षार्थियों और पांच सॉल्वर्स (प्रतिरूपणकर्ता) को दोषी माना। इन सभी को भारतीय दंड संहिता (IPC) और मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम (MPRE Act) की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई गई है।

दोषी ठहराए गए छह उम्मीदवारों में लोकेंद्र कुमार धाकड़, अविनाश जयंत, राजेश प्रजापति, भूरा रावत, राधेश्याम यादव और विकास रावत शामिल हैं। वहीं, जिन पांच सॉल्वर्स को दोषी ठहराया गया है, वे हैं: हेमंत सिंह जाट, सर्वेश कुमार झा, नरेश प्रजापति, रामवीर सिंह रावत और हरिओम तोमर।

सीबीआई के पब्लिक प्रोसिक्यूटर सुशील कुमार पांडे ने बताया कि व्यापम द्वारा आयोजित यह परीक्षा 30 सितंबर 2012 को हुई थी। जांच में सामने आया कि छह उम्मीदवारों ने परीक्षा में खुद उपस्थित न होकर अपने स्थान पर अन्य सॉल्वर्स को बैठाया।

लोकेंद्र धाकड़ की जगह हेमंत सिंह जाट, अविनाश जयंत की जगह सर्वेश झा, और राजेश प्रजापति की जगह उनके भाई नरेश प्रजापति ने परीक्षा दी। इसी तरह, भूरा रावत और विकास रावत की जगह क्रमशः रामवीर रावत और हरिओम तोमर परीक्षा में शामिल हुए। राधेश्याम यादव की जगह एक अज्ञात व्यक्ति ने परीक्षा दी थी।

इन सभी ने लिखित परीक्षा पास की, लेकिन बाद में मामले का खुलासा हुआ और प्राथमिकी दर्ज कर सीबीआई को जांच सौंपी गई। जांच के बाद सभी 11 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई।

करीब दस साल बाद आए इस फैसले को न्याय प्रक्रिया में एक अहम कदम माना जा रहा है। व्यापम घोटाला देश के सबसे बड़े परीक्षा घोटालों में से एक रहा है, जिसमें सरकारी नौकरियों और प्रवेश परीक्षाओं में भारी स्तर पर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा सामने आया था।


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अदालत का यह फैसला ऐसे मामलों में कड़ा संदेश देता है कि शिक्षा और भर्ती व्यवस्था में गड़बड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सीबीआई और अभियोजन पक्ष ने इसे न्याय की जीत बताया है।

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