सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 21 हजार करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों की कथित तस्करी के मामले में गिरफ्तार दिल्ली के एक व्यवसायी को जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्य कांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देने से मना कर दिया।
लश्कर-ए-तैयबा को फंडिंग का आरोप
जांच एजेंसी NIA ने कोर्ट में दावा किया कि इस तस्करी से प्राप्त रकम का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाना था। पीठ ने तस्करी मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण का आरोप समय से पहले लगाया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता हरप्रीत सिंह तलवार को छह महीने बाद जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी।
NIA ने जमानत याचिका का किया विरोध
NIA ने कोर्ट में व्यवसायी की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। NIA का कहना है कि यह मामला भारत में हेरोइन से संबंधित नार्को खेप भेजने का परीक्षण था। NIA के अनुसार, हेरोइन से लदे अर्ध-प्रसंस्कृत तालक पत्थरों को व्यापारिक वस्तु के रूप में दिखाकर भारत में आयात किया गया था। इन पत्थरों को नई खोली गई प्रोपराइटर फर्मों और शेल कंपनियों के नाम पर लाया गया था।

हेरोइन से लदे पत्थरों की बरामदगी
NIA ने हलफनामे में बताया कि अफगानिस्तान से ईरान के रास्ते 12 सितंबर 2021 को मुंद्रा पोर्ट पर कुछ कंटेनर पहुंचे थे। इन कंटेनरों में अर्ध-संसाधित टैल्क पत्थरों से भरे बैग थे। 13 सितंबर 2021 को इन कंटेनरों की जांच के दौरान राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने दावा किया कि कुछ बैगों में हेरोइन पाई गई। इस बरामदगी का कुल मूल्य 21,000 करोड़ रुपये आंका गया।
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इस मामले में अफगान नागरिक सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया कि इस खेप का संबंध अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी नेटवर्क से है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय तस्करी और आतंकवाद से जुड़े मामलों में कड़ी कार्रवाई का संदेश देता है।