रीवा। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर साल करोड़ों रुपये स्वच्छता पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन सेमरिया नगर परिषद की हकीकत इन दावों के बिल्कुल उलट दिखाई देती है। विशेष रूप से वार्ड क्रमांक 14 की स्थिति साफ तौर पर दर्शाती है कि स्वच्छता अभियान का लाभ यहां के नागरिकों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
वार्ड 14 की तस्वीरें खोलती हैं दावों की पोल
सेमरिया नगर परिषद के वार्ड क्रमांक 14 में गंदगी के ढेर, नालियों का ओवरफ्लो और खुले में बहता गंदा पानी इस बात का प्रमाण हैं कि नगर परिषद की ओर से स्वच्छता को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। यहां के स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि वे कई बार नगर परिषद से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिलता है।
स्थानीय लोग परेशान, नगर परिषद बेखबर
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे नियमित रूप से हाउस टैक्स और अन्य नगर निकाय करों का भुगतान करते हैं, इसके बावजूद वार्ड में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद सफाईकर्मी समय पर नहीं आते, और जब आते हैं तो केवल खानापूर्ति कर चले जाते हैं।

सरकारी बजट पर उठे सवाल
सरकार द्वारा जारी करोड़ों के बजट और योजनाओं के बावजूद इस तरह की स्थिति का सामने आना बेहद चिंताजनक है। नागरिकों का कहना है कि अगर इस गंदगी पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल बीमारियों को दावत देगा, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह मामला साफ दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही और जवाबदेही की कमी है। स्थानीय प्रशासन यदि समय रहते कार्रवाई नहीं करता है, तो इसका असर केवल सेमरिया ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है।
क्या कहता है स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य?
स्वच्छ भारत मिशन का मुख्य उद्देश्य है देश को साफ-सुथरा और स्वस्थ बनाना, जिसमें हर वार्ड और मोहल्ले तक सफाई की सुविधाएं पहुंचाना शामिल है। लेकिन अगर ऐसे ही वार्डों की अनदेखी होती रही, तो इस मिशन की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है।
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सेमरिया नगर परिषद के वार्ड क्रमांक 14 की स्थिति ने स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। अब जरूरत है ठोस कदम उठाने की—न केवल सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की, बल्कि उन अधिकारियों पर जवाबदेही तय करने की जो इस तरह की लापरवाही को नजरअंदाज कर रहे हैं।