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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला – RTO के निर्णय तक मान्य रहेंगे बसों के ‘अस्थायी परमिट’

भोपाल
मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग की लेटलतीफी से परेशान निजी बस संचालकों को राहत मिली है। हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि जिन बसों के अस्थायी परमिट की अवधि समाप्त हो गई है या समाप्त होने वाली है, वे तब तक मान्य रहेंगे जब तक परिवहन विभाग (RTO) उनके स्थायी परमिट आवेदन पर फैसला नहीं ले लेता।

बस ऑपरेटर्स की याचिका पर सुनवाई

हाईकोर्ट में 16 बस ऑपरेटर्स ने याचिकाएं दायर की थीं। उनका कहना था कि उनकी बसों के अस्थायी परमिट खत्म होने वाले हैं, लेकिन परिवहन विभाग उनके स्थायी परमिट के आवेदन पर कोई निर्णय नहीं ले रहा। इससे उनकी बस सेवाएं बंद होने की कगार पर पहुंच गईं।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि विभाग की लापरवाही और देरी के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

जस्टिस प्रणय वर्मा का आदेश

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि जब तक RTO (परिवहन विभाग) कोई ठोस फैसला नहीं लेता, तब तक सभी अस्थायी परमिट मान्य रहेंगे। कोर्ट ने बस ऑपरेटर्स को तत्काल राहत देते हुए आदेश दिया कि विभाग आदेश की प्रति मिलने के 7 दिनों के भीतर उनके आवेदन का निराकरण करे।

सरकार की तैयारी और बस ऑपरेटर्स की चिंता

इधर, राज्य सरकार मप्र सड़क परिवहन निगम को दोबारा शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए नए बस रूट तय करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इसी बीच निजी बस ऑपरेटर्स का कहना है कि सरकार और विभाग की धीमी कार्यशैली उनके भविष्य पर संकट खड़ा कर रही है।

बस संचालकों का कहना है कि यदि समय पर स्थायी परमिट मंजूर नहीं हुए, तो यात्रियों को असुविधा होगी और परिवहन व्यवस्था चरमरा जाएगी।

कोर्ट का सख्त रुख

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि विभाग अनावश्यक देरी न करे और निर्धारित समयसीमा में फैसले ले। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि बस ऑपरेटर्स के आवेदन पर विभाग का लटकता रवैया उचित नहीं है।

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इस फैसले से प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर्स को बड़ी राहत मिली है। अब तक जिनकी बसें अस्थायी परमिट पर चल रही थीं और विभाग के फैसले का इंतजार कर रही थीं, वे बिना किसी डर के सड़क पर चल सकेंगी। वहीं, परिवहन विभाग पर अब यह दबाव बढ़ गया है कि वह तय समयसीमा के भीतर स्थायी परमिट संबंधी मामलों का निपटारा करे।

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