मध्यप्रदेश में रसूख का प्रदर्शन करने के लिए नेताओं और प्रभावशाली लोगों में हूटर लगाने का क्रेज इतना गहरा है कि इंदौर हाईकोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं की जा रही। हैरानी की बात है कि यह उल्लंघन पुलिस की नाक के नीचे खुलेआम हो रहा है।
31 जुलाई को हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी निजी और अपात्र वाहनों से हूटर, फ्लैशलाइट हटाए जाएं और गलत नंबर प्लेट को सही किया जाए। आदेश का पालन करने के लिए 7 दिन की मोहलत दी गई थी, लेकिन 12 दिन बाद भी राजधानी भोपाल में हूटर लगे वाहन सड़कों पर दौड़ते दिख रहे हैं।
राजधानी में खुलेआम आदेशों की अनदेखी
मंगलवार को भोपाल के पॉलिटेक्निक चौक के पास भाजपा जिलाध्यक्ष रवींद्र यति का वाहन हूटर के साथ नजर आया। इसके अलावा, कई टैक्सी और निजी वाहन भी हूटर लगाकर पुलिस की मौजूदगी में गुजरते रहे। इन पर किसी तरह की कार्रवाई होती नहीं दिखी।
कुछ महीने पहले पुलिस मुख्यालय (PHQ) ने प्रदेशभर में “हूटरबाजों” के खिलाफ अभियान चलाया था, लेकिन यह अभियान कुछ ही दिनों में ठंडा पड़ गया। अब, कोर्ट के आदेश आने के बाद भी पुलिस मुख्यालय की ओर से कोई नई कार्रवाई या अभियान शुरू नहीं किया गया है।
जनहित याचिका पर कोर्ट का सख्त रुख

हूटर और फ्लैशलाइट को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि 7 दिन के भीतर सभी निजी और अपात्र वाहनों से हूटर-फ्लैशलाइट हटाए जाएं और 4 हफ्तों में प्रमुख सचिव, DGP, कमिश्नर, और डिप्टी RTO से रिपोर्ट मांगी गई थी।
पुलिस और प्रशासन पर सवाल
यह स्थिति न केवल कोर्ट के आदेशों की अवहेलना दर्शाती है, बल्कि पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। राजधानी में रोजाना सत्ताधारी दल के नेताओं और अन्य रसूखदार व्यक्तियों के वाहन हूटर के साथ गुजरते हैं, लेकिन कानून का पालन कराने वाली एजेंसियां मौन हैं।
यह भी पढ़िए – सीधी जिला अस्पताल में लापरवाही का बड़ा खुलासा – 21 वर्षीय युवती को लगाई गई एक्सपायरी दवाई, प्रशासन पर उठे सवाल
राजधानी में लोग अब सवाल उठाने लगे हैं कि जब कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हो रहा, तो आम नागरिकों के नियम-कानून लागू करने में पुलिस कितनी गंभीर होगी? सोशल मीडिया पर भी पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।