उमरिया (मध्यप्रदेश)।
गुरुवार का दिन उमरिया जिला अस्पताल में कुछ अलग ही अंदाज़ में शुरू हुआ। आमतौर पर जहां एम्बुलेंस की आवाज़ लोगों को चिंता में डाल देती है, वहीं इस बार यह आवाज़ उम्मीद और खुशी की वजह बन गई। उफरी गांव निवासी भगवती राठौर नाम की महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले 108 एम्बुलेंस में ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। यह पूरी घटना न केवल भावुक कर देने वाली थी, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तत्परता और मानवीयता का भी बेहतरीन उदाहरण बन गई।
गांव से अस्पताल तक 6 किलोमीटर की जद्दोजहद
भगवती राठौर को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजनों ने तत्काल 108 एम्बुलेंस को कॉल किया। महिला को अस्पताल ले जाते समय लगभग 6 किलोमीटर की दूरी तय की जा रही थी। लेकिन जैसे ही एम्बुलेंस जिला अस्पताल परिसर के गेट पर पहुंची, भगवती की पीड़ा असहनीय हो गई और कुछ ही पलों में उसने एम्बुलेंस के अंदर ही बच्चे को जन्म दे दिया। उस समय वहां मौजूद अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अस्पताल स्टाफ को सूचना दी।
मेडिकल स्टाफ की तत्परता ने बचाई जान
सूचना मिलते ही अस्पताल की मेडिकल टीम बिना देर किए मौके पर पहुंची। उन्होंने नवजात और मां दोनों को एम्बुलेंस से सुरक्षित बाहर निकालकर प्रसूति वार्ड में भर्ती किया। डॉक्टरों की निगरानी में दोनों का इलाज तुरंत शुरू हुआ और उनकी स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए सभी जरूरी चिकित्सकीय उपाय किए गए।
सिविल सर्जन डॉ. के.सी. सोनी ने जानकारी दी कि “मां और बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। ऐसे मामलों में सबसे जरूरी बात होती है समय पर निर्णय और चिकित्सकीय सहायता। हमारी टीम ने सक्रियता दिखाई और स्थिति को संभाल लिया।”

108 एम्बुलेंस: आपातकालीन सेवा से जीवनदाता तक
यह घटना एक बार फिर इस बात का प्रमाण है कि 108 एम्बुलेंस केवल एक आपातकालीन सेवा ही नहीं, बल्कि कई बार यह जीवनदायिनी भी साबित होती है। इस बार एम्बुलेंस की सायरन किलकारी में तब्दील हो गई। एम्बुलेंस स्टाफ ने न केवल महिला को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाया, बल्कि पूरे सफर के दौरान उसकी देखभाल भी की।
स्थानीय लोगों और परिजनों की सराहना
इस पूरे घटनाक्रम के बाद स्थानीय लोगों और अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिजनों ने एम्बुलेंस चालक और मेडिकल स्टाफ की जमकर तारीफ की। ग्रामीणों का कहना था कि अगर थोड़ी भी देर होती, तो यह मामला जटिल हो सकता था। एक महिला की सुरक्षित डिलीवरी और एक नवजात की जान बचना, यह केवल स्वास्थ्य सेवाओं की सजगता से ही संभव हो पाया।
सरकार की स्वास्थ्य सेवा योजनाओं को बल
इस घटना से यह भी साफ हो गया कि जब सरकारी सेवाएं गंभीरता और संवेदनशीलता से काम करती हैं, तो वे आम लोगों का जीवन बदल सकती हैं। 108 एम्बुलेंस सेवा मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में संचालित की जा रही है और यह घटना उसकी सफलता की कहानी का एक उदाहरण है।
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उमरिया की यह घटना केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि सरकारी सेवाएं भी जीवन में असली ‘नायक’ की भूमिका निभा सकती हैं। यह घटना उन हजारों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है जो आपात स्थिति में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर हैं।