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CM Mohan Yadav: शिक्षक दिवस पर याद आए गुरुजन, बोले- यह बच्चा शुरू से ही था सबसे अलग

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) आज अपने राजनीतिक कौशल और प्रशासनिक दक्षता के लिए देशभर में चर्चित हैं। लेकिन उनके शिक्षक कहते हैं कि मोहन यादव में यह नेतृत्व क्षमता और अलग सोच बचपन से ही नजर आती थी। शिक्षक दिवस के मौके पर उनके गुरुजन ने कई किस्से साझा किए और बताया कि क्यों वे शुरू से ही “कुछ अलग” दिखते थे।

छात्र राजनीति से रखी नींव

मध्यप्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम बनने से पहले मोहन यादव ने अपनी यात्रा की शुरुआत छात्र जीवन से की थी। माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने संघर्ष, संगठन और नेतृत्व के बल पर खुद को साबित किया। उस समय भी वे न सिर्फ पढ़ाई में अच्छे थे, बल्कि वाद-विवाद प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।

गुरुजन ने पहचानी काबिलियत

सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. गोपाल शर्मा कहते हैं, “मोहन की सबसे बड़ी खासियत थी किसी भी विषय को गहराई से समझना और फिर उसे पूरा करके ही दम लेना।” उनके अनुसार, यही आदत आज उन्हें एक सफल नेता बनाती है। डॉ. शर्मा का मानना है कि यादव की सफलता का सबसे बड़ा राज उनकी जमीन से जुड़ी सोच और हर वर्ग को साथ लेकर चलने की कला है।

इसी तरह, विक्रम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. रमाकांत नागर ने भी उनके छात्र जीवन को याद करते हुए कहा, “1982 से 84 के बीच मैंने उन्हें केमिस्ट्री पढ़ाई थी। उस समय से ही उनके भीतर अनुशासन और दृढ़ता के गुण साफ दिखते थे।”

जिम्मेदारी और नेतृत्व के गुण

डॉ. नागर ने बताया कि मोहन यादव कभी किसी गलत गतिविधि में शामिल नहीं होते थे। वे इतने जिम्मेदार थे कि जब भी कोई छात्र शरारत करता, तो शिक्षक खुद मोहन से कहते कि उसे संभालो। मोहन अपनी शैली से उस छात्र को समझाते और सही रास्ते पर ले आते। यही नेतृत्व और समझदारी बाद में उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।

मोह-न: केवल काम से लगाव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था, “अगर मोहन शब्द का संधि-विच्छेद करें, तो उसका अर्थ होता है मोह-न। यानी किसी से मोह नहीं, बस अपने काम के प्रति ही मोह रखना।” यह कथन उनके व्यक्तित्व को पूरी तरह दर्शाता है। उनका कहना है कि राजनीति उनके लिए पद या सत्ता का साधन नहीं, बल्कि समाज की सेवा का माध्यम है।

शिक्षक दिवस पर गुरुजन की भावनाएँ

शिक्षक दिवस पर जब उनके गुरुजन ने उन्हें याद किया, तो सभी ने एक ही बात दोहराई कि मोहन यादव हमेशा अलग सोच और अलग ऊर्जा वाले छात्र थे। वे जहां भी खड़े होते, भीड़ से अलग नजर आते। पढ़ाई में मेधावी होने के साथ-साथ उन्होंने संगठनात्मक क्षमता, संवाद शैली और टीमवर्क के गुण भी उसी समय में विकसित कर लिए थे।

संघर्ष से सफलता तक की कहानी

छात्र राजनीति से लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था। लेकिन हर कदम पर उनकी मेहनत, संघर्ष और धैर्य ने उन्हें मंजिल तक पहुँचाया। प्रदेश की जनता आज उन्हें एक कर्मठ और संवेदनशील नेता के रूप में देखती है, वहीं उनके शिक्षक इस सफलता को देखकर गर्व महसूस करते हैं।

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डॉ. मोहन यादव की आज की उपलब्धियों के पीछे उनका संघर्षमय छात्र जीवन, शिक्षकों का मार्गदर्शन और उनकी खुद की ईमानदारी व जिम्मेदारी की भावना है। शिक्षक दिवस पर उनके गुरुजन द्वारा साझा किए गए किस्से यह साबित करते हैं कि वे वास्तव में “कुछ अलग” थे और उनकी यही विशेषताएँ उन्हें एक सफल नेता और प्रशासक बनाती हैं।

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