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MP में फिर एक 5 साल की मासूम से दरिंदगी: PCC चीफ बोले- बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार से उम्मीद करना बेकार

MP : मध्य प्रदेश में लगातार सामने आ रहे यौन शोषण के मामलों ने एक बार फिर सरकार की महिला और बाल सुरक्षा की दावों पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में रतलाम में एक 5 साल की मासूम बच्ची से एक 10वीं कक्षा के छात्र द्वारा दरिंदगी का मामला सामने आया है, जिससे राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है।

इस घटना ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी को सरकार पर निशाना साधने का एक और कारण दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि बेटियों की सुरक्षा के मामले में सरकार से उम्मीद करना बेकार है। उनका कहना है कि अब कांग्रेस पार्टी खुद सड़क पर उतरकर इस मुद्दे के लिए लड़ाई लड़ेगी।

रतलाम का मामला

रतलाम में यह मामला तब उजागर हुआ जब बच्ची की माँ ने बताया कि उसकी बेटी पिछले तीन दिनों से बुखार में थी। 27 सितंबर की रात, जब बच्ची टॉयलेट गई, तो वह जोर-जोर से रोने लगी। उसकी मौसी ने जब उससे पूछा, तो उसने बताया कि स्कूल के एक लड़के ने उसके साथ गंदी हरकत की। इसके बाद, बच्ची के परिवार ने थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को पकड़ लिया और उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया। मामले की जांच जारी है।

MP अभिभावकों का विरोध

घटना के बाद, बच्ची के परिजन और अन्य बच्चों के माता-पिता स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भड़क उठे। उन्होंने स्कूल के मेन गेट पर ताला लगा देने के बावजूद जमकर नारेबाजी की। अभिभावक स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाते हुए स्कूल के बाहर बैठ गए। जानकारी मिलते ही औद्योगिक थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई और अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया।

जीतू पटवारी की टिप्पणी

जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा, “रतलाम में 5 साल की बेटी के साथ हुई दर्दनाक घटना ने मुझे विचलित कर दिया है। यह घटनाएँ हर दिन हमारी बेटियों के साथ हो रही हैं, और मुझे इससे गहरा दुख हो रहा है। अब बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार से उम्मीद करना बेकार है, क्योंकि भाजपा सरकार की प्राथमिकता कभी भी हमारी बेटियों की सुरक्षा नहीं रही।”

निष्कर्ष

यह मामला एक बार फिर से यह सवाल उठाता है कि क्या सरकार वास्तव में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से ले रही है? राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बेटियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। समाज के हर वर्ग को मिलकर इस मुद्दे पर आवाज उठानी होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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