जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने राज्य सेवा परीक्षा 2025 (MPPSC Exam 2025) के संबंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने एमपी-पीएससी (MPPSC) को 15 अप्रैल तक प्रारंभिक परीक्षा (MPPSC Prelims Exam 2025) के वर्गवार कट-ऑफ मार्क्स और आरक्षित वर्ग से अनारक्षित वर्ग में चयनित अभ्यर्थियों का पूरा डेटा पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सेवा मुख्य परीक्षा 2025 (MPPSC Mains Exam 2025) पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
हाईकोर्ट ने क्यों लिया यह फैसला?
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि इससे पहले एक अन्य याचिका में हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी को बिना अनुमति के प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट जारी करने से रोका था। हालांकि, 25 मार्च को सरकारी वकील और एमपीपीएससी के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि 16 फरवरी को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम अब तक घोषित नहीं हुआ है। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि परीक्षा का रिजल्ट वास्तव में 5 मार्च को ही जारी कर दिया गया था। इस विरोधाभास को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी से स्पष्ट डेटा मांगा है और मुख्य परीक्षा को स्थगित करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने एमपीपीएससी को निर्देश दिया है कि 15 अप्रैल तक प्रारंभिक परीक्षा के वर्गवार कट-ऑफ मार्क्स और अनारक्षित वर्ग में चयनित आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का विवरण प्रस्तुत किया जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी, जिसमें एमपी-पीएससी द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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इस फैसले से MPPSC Mains Exam 2025 की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को बड़ा झटका लगा है। परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को अब 15 अप्रैल के बाद ही परीक्षा की नई तारीखों का पता चलेगा।
हाईकोर्ट के इस आदेश ने एमपीपीएससी की प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि 15 अप्रैल की सुनवाई में कोर्ट क्या अंतिम फैसला सुनाता है।