भोपाल। साहस, दृढ़ संकल्प और जज्बे का अद्भुत उदाहरण पेश करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अधिकारी सुनीता सिंह ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (Mount Elbrus) पर तिरंगा फहराकर नया इतिहास रच दिया है। 56 वर्षीय सुनीता न केवल इस शिखर पर पहुंचने वाली SBI की पहली महिला अधिकारी बनीं, बल्कि अपनी उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर उन्होंने देश और प्रदेश का गौरव भी बढ़ाया।
24 अगस्त को हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि
सुनीता सिंह ने यह उपलब्धि 24 अगस्त की सुबह करीब 8 बजे हासिल की। इस दौरान उन्होंने न केवल तिरंगा लहराया बल्कि भारतीय स्टेट बैंक का ध्वज भी शिखर पर फहराया। जबलपुर की रहने वाली और फिलहाल भोपाल स्थित SBI मुख्यालय में असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) पद पर कार्यरत सुनीता ने साबित किया कि उम्र महज एक संख्या है, असली ताकत इच्छाशक्ति और मेहनत की होती है।
यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत – माउंट एल्ब्रुस
माउंट एल्ब्रुस, रूस के काकेशस पर्वत श्रृंखला में स्थित एक निष्क्रिय ज्वालामुखी है, जिसकी ऊंचाई 18,510 फीट (5642 मीटर) है। बर्फ से ढके ग्लेशियरों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इसे चढ़ना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है। यह दुनिया के सात शिखरों (Seven Summits) में से एक है और पर्वतारोहियों के लिए सपनों की चोटी मानी जाती है।
माउंट एल्ब्रुस पर चढ़ाई केवल शारीरिक क्षमता का ही नहीं बल्कि तकनीकी पर्वतारोहण कौशल और ऊंचाई के अनुकूलन की कड़ी परीक्षा भी लेती है। तेज हवाओं, बर्फबारी और शून्य से कई डिग्री नीचे तापमान के बीच सुनीता ने यह चढ़ाई पूरी कर असाधारण साहस का परिचय दिया।

पहले भी की है ऊंचाइयों को फतह
यह पहली बार नहीं है जब सुनीता सिंह ने किसी कठिन शिखर पर तिरंगा फहराया हो। इससे पहले वे नेपाल के माउंट लोबुचे ईस्ट (6119 मीटर) पर भी सफलतापूर्वक चढ़ाई कर चुकी हैं। पर्वतारोहण का प्रशिक्षण उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से प्राप्त किया है। यह संस्था देश की प्रमुख पर्वतारोहण प्रशिक्षण अकादमी है, जहां से प्रशिक्षित होकर कई पर्वतारोही विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन कर चुके हैं।
56 की उम्र में मिसाल
अक्सर पर्वतारोहण को युवा और ऊर्जावान शरीर का खेल माना जाता है, लेकिन सुनीता सिंह ने इस धारणा को तोड़ दिया। लगभग 56 वर्ष की आयु में इस उपलब्धि को हासिल कर उन्होंने न केवल महिलाओं बल्कि हर उम्र वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणा का काम किया है। सुनीता का कहना है कि सही तैयारी, अनुशासन और आत्मविश्वास के साथ कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
बैंक अधिकारी से पर्वतारोही तक का सफर
सुनीता पेशे से एक बैंकर हैं और SBI में AGM पद पर कार्यरत हैं। नौकरी की व्यस्तताओं के बीच उन्होंने पर्वतारोहण के अपने जुनून को जिंदा रखा और समय निकालकर कठिन प्रशिक्षण लिया। अपने इस सफर में उन्हें परिवार और सहयोगियों का भी पूरा साथ मिला।
उनका कहना है कि पर्वतारोहण ने उन्हें जीवन में धैर्य, एकाग्रता और कठिन परिस्थितियों से लड़ने का हौसला दिया है। यही अनुभव उन्हें न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि अपने प्रोफेशनल करियर में भी मदद करता है।
प्रदेश और देश के लिए गौरव का क्षण
सुनीता की इस उपलब्धि पर उनके परिवार, सहकर्मियों और राज्य के लोगों ने गर्व व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर भी उन्हें बधाइयों की बौछार मिल रही है। पर्वतारोहण के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी अभी भी सीमित है, ऐसे में सुनीता की सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक साबित होगी।
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माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा फहराकर सुनीता सिंह ने यह साबित कर दिया है कि हिम्मत और लगन के सामने कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी यह उपलब्धि न केवल भारतीय स्टेट बैंक के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि पूरे देश और विशेषकर मध्यप्रदेश के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।