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Sidhi News: लिलवार घोटाले में रोजगार सहायक को बलि का बकरा बनाकर अन्य दोषियों को बख्शा गया

Sidhi News: जिले के पंचायतीराज में भ्रष्टाचार की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि जनप्रतिनिधियों को भी यहां के अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। लिलवार ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत हुए घोटाले के मामले में केवल रोजगार सहायक को बलि का बकरा बनाया गया, जबकि अन्य दोषियों को नोटिस जारी कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

पूर्व मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कमलेश्वर पटेल द्वारा विधानसभा में ध्यानाकर्षण क्रमांक 581 सत्र मार्च 2018 में इस घोटाले पर सवाल उठाए गए थे। इसके बाद जिले के अधिकारियों ने जांच की, जिसमें रोजगार सहायक के साथ-साथ कई उच्चाधिकारी भी दोषी पाए गए थे। फिर भी, केवल रोजगार सहायक की सेवा समाप्त की गई, जबकि अन्य अधिकारियों से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आई अनियमितताएं

जांच कमेटी की रिपोर्ट में 4 लाख 81 हजार 829 रुपये की अनियमितताएं पाई गई थीं। इसके बाद केवल रोजगार सहायक माया तिवारी की सेवा समाप्त की गई, जबकि अन्य दोषियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए आरोप पत्र भेजे गए थे। लेकिन इसके बावजूद, पांच साल बाद भी किसी अन्य अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई।

इस पूरे मामले ने यह सवाल उठाया है कि क्या जिले के अधिकारी वास्तव में जिम्मेदारियों का पालन कर रहे हैं या फिर उन्हें कार्रवाई से बचाने के लिए जानबूझकर मामले को टाला जा रहा है। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों में इस घोटाले के खिलाफ गहरा असंतोष व्याप्त है और वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

आगे की कार्रवाई का इंतजार

भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले पर प्रशासन को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अन्य अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जा सके। लिलवार के निवासी और अन्य प्रभावित जनसामान्य अब न्याय की आस में हैं, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके।

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