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Z-शेप पर बवाल: इंदौर में बना ‘जिग-जैग’ पुल चुनावी बहस में तब्दील, सरकार और कांग्रेस आमने-सामने

भोपाल के 90 डिग्री पुल पर अभी सियासत थमी भी नहीं थी कि इंदौर से एक नया विवाद सामने आ गया है। पोलो ग्राउंड में बन रहा रेलवे ओवर ब्रिज इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है, और वजह है इसका अजीबोगरीब Z आकार का डिजाइन, जिसमें 90 डिग्री के दो तीखे मोड़ शामिल हैं। विपक्ष इसे ‘बर्बादी की योजना’ बता रहा है, तो सरकार इसे मानकों के अनुसार सुरक्षित निर्माण कह रही है।

क्या है पुल का मामला?

इंदौर के पोलो ग्राउंड से MR-4 की ओर बन रहा यह ओवरब्रिज दो मोड़ों के कारण चर्चा में है।
पहला मोड़ लक्ष्मीबाई नगर से भागीरथपुरा की ओर है, जबकि दूसरा मोड़ पोलोग्राउंड से MR-4 की ओर जाता है। इस अजीब डिजाइन को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सरकार को घेरा है।

कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप

मप्र कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस पुल को इंजीनियरिंग की विफलता बताते हुए कहा कि यह “बिना सोच-विचार के बनाई गई योजना है।”
उन्होंने इंदौर सांसद शंकर लालवानी, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा:

“जनता से वोट लेकर नेता सो गए हैं। और इंदौर के नाम पर जो हो रहा है, वो शर्मनाक है। ये पुल विकास नहीं, दुर्घटनाओं का न्योता है।”

कांग्रेस के एक्स हैंडल से भी इस पुल को लेकर सवाल खड़े किए गए और PWD अधिकारियों पर “मनमानी प्लानिंग” का आरोप लगाया गया।

सरकार और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का जवाब

सरकार की ओर से सफाई में सबसे पहले लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह सामने आए। उन्होंने कहा कि:

“इस पुल का निर्माण पूरी तरह इंडियन रोड कांग्रेस (IRC) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो रहा है। पाँच मोड़ों वाला ये पुल हर लिहाज़ से संतुलित और सुरक्षित है। सभी मोड़ों की रेडियस 20 मीटर के आसपास है, जबकि मानक 15 मीटर है।”

PWD की इंजीनियर गुरमीत कौर भाटिया ने मीडिया रिपोर्टों पर सवाल उठाते हुए कहा कि:

  • मीडिया में जो डिजाइन वायरल हो रहा है, वह सरकारी तौर पर फाइनल डिजाइन नहीं है।
  • काम अब भी प्रगति पर है और आधिकारिक रूप से मंजूर नक्शे के अनुसार ही किया जा रहा है।
  • अगर जरूरत पड़ी तो हाई लेवल रिव्यू किया जाएगा और सुधार की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

‘फर्जी डिजाइन’ या असली खतरा?

जन संपर्क विभाग ने भी इस विवाद पर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर बयान जारी कर मीडिया में दिखाए जा रहे डिजाइन को फर्जी करार दिया है। लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए लोकल अधिकारियों ने अब इस पर रिव्यू की बात कही है।

हालांकि, पुल निर्माण के बीच उठे ये सवाल कहीं न कहीं प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान तो लगाते हैं।

विपक्ष का तर्क बनाम सरकार की तकनीक

यह पूरा मुद्दा अब केवल एक पुल तक सीमित नहीं रहा।
यह चुनावी साल में भाजपा बनाम कांग्रेस की रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। जहां एक ओर कांग्रेस इस पुल को लेकर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठा रही है, वहीं भाजपा और सरकार इसे “विकास कार्य में खलल डालने की कोशिश” बता रही है।

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सवाल अब जनता का

  • क्या वाकई इस पुल का डिजाइन सुरक्षित है या फिर हादसों को न्योता देगा?
  • क्या वायरल हुआ Z-शेप नक्शा सिर्फ अफवाह है या सच्चाई छिपाई जा रही है?
  • और सबसे अहम — क्या इंदौर जैसे स्मार्ट सिटी में अब विकास बिना प्लानिंग के हो रहा है?

फिलहाल, मामला गर्म है और जनता, इंजीनियरिंग के फैसलों की नहीं, उनके असर की निगरानी कर रही है।

जब पुल मुड़ जाए, तो सवाल सीधा होता है — जिम्मेदार कौन?

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