शिवसेना (यूबीटी) नेता ने सीजफायर पर अमेरिकी हस्तक्षेप को भारत की संप्रभुता पर हमला बताया, पीएम मोदी की भूमिका पर भी कड़े सवाल
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में घोषित संघर्षविराम (Ceasefire) पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्धविराम की घोषणा और उसमें अमेरिका की भूमिका को लेकर अब शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कड़ा बयान दिया है। उन्होंने ट्रंप के ‘श्रेय लेने’ पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि अगर वह इतने ही शक्तिशाली हैं, तो इज़राइल-गाज़ा संघर्ष को क्यों नहीं रोक पाए?
संजय राउत ने कहा,
“अगर डोनाल्ड ट्रंप इतने ताकतवर हैं तो इज़राइल और गाज़ा का युद्ध क्यों नहीं रुकवा सके? उन्होंने भारत पर दबाव डालकर पाकिस्तान से संघर्ष रुकवाया। यह भारत की संप्रभुता पर हमला है।”
‘संप्रभु राष्ट्र में तीसरे देश का दखल बर्दाश्त नहीं’
राउत ने अमेरिकी हस्तक्षेप को सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता पर चोट बताया। उन्होंने कहा,
“भारत कोई कमजोर राष्ट्र नहीं है कि किसी तीसरे देश के राष्ट्रपति को हमारी रक्षा नीति तय करनी पड़े। यह मोदी सरकार की कमजोरी है कि ट्रंप को बीच में आना पड़ा।”
उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को कूटनीतिक विफलता करार दिया और सवाल पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बावजूद सरकार अब तक पाकिस्तान या उसके आतंकवादियों को करारा जवाब क्यों नहीं दे पाई।

‘हमारे जवानों का सिंदूर छीन लिया गया, फिर क्या बदला लिया?’
शिवसेना नेता ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर उन शहीदों के लिए शुरू किया गया जिनकी 26 विधवाओं का सिंदूर आतंकवादियों ने छीन लिया।
“लेकिन आज वे 6 आतंकवादी अब भी हमारे देश की जमीन पर कहीं छिपे हैं। क्या मोदी सरकार ने इसका कोई बदला लिया है?” उन्होंने सवाल किया।
राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऑल पार्टी मीटिंग बुलानी चाहिए और खुद उसमें शामिल होकर विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए।
‘जवानों को मौका मिलता तो लाहौर तक हिला देते’
उन्होंने सेना के जवानों की बहादुरी की तारीफ करते हुए कहा,
“हमारे जवानों को आदेश मिलता तो वे लाहौर-कराची तक सब हिला देते। लेकिन सरकार ने उन्हें रोक दिया। इससे उनका मनोबल गिरा है।”
राउत ने कहा कि आज की सरकार अगर मजबूत होती, तो ट्रंप को बयान देने की नौबत ही नहीं आती। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कोई भी पड़ोसी देश या अंतरराष्ट्रीय ताकत भारत के साथ खड़ी नहीं है, बल्कि पाकिस्तान और चीन के साथ जा मिली हैं।
‘सीजफायर के लिए मानना गद्दारी है’
संजय राउत ने सीजफायर को सीधा-सीधा देशहित के खिलाफ बताया।
“अगर आज इंदिरा गांधी होतीं, तो पाकिस्तान की हिम्मत नहीं होती। 1971 में हमने देखा कि कैसे 90,000 पाकिस्तानी सैनिक घुटनों पर आ गए थे। उस वक्त सेनापति अरोड़ा और मानेकशॉ जैसे लोग थे, जो पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटने में सफल रहे।”
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफे की भी मांग की और कहा कि श्रीनगर में अभी भी बम धमाके हो रहे हैं और सरकार ने कोई निर्णायक जवाब नहीं दिया है।
यह भी पढ़ें:-‘मैं देखूंगा कश्मीर का समाधान…’ सीजफायर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने दिया बड़ा बयान, भारत-पाक को कहा ‘बहादुर नेतृत्व’