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अश्लील हरकत पर शिक्षक और शिक्षिका बर्खास्त

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में एक सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल और महिला टीचर के बीच अश्लील हरकत का मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी मचा दी है। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने इस पर सख्त कदम उठाए हैं।

घटना का विवरण

विद्यालय में प्रिंसिपल अरविंद नाथ व्यास और महिला शिक्षिका कांता पांडिया पर अश्लील और अमर्यादित हरकतें करने का आरोप लगा है।

  • वीडियो वायरल: घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद यह मामला तेजी से चर्चा में आ गया।
  • जांच टीम की कार्रवाई: शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्कूल में अधिकारियों की एक टीम भेजी। जांच के बाद दोनों शिक्षकों को दुराचरण और अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया।

कार्रवाई और बर्खास्तगी

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मामले में स्पष्ट रूप से कहा कि विद्यालय में अनुशासनहीनता और अनैतिक व्यवहार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

  • प्रिंसिपल और शिक्षिका को बर्खास्त: राज्य सरकार ने शिक्षक अरविंद नाथ व्यास और शिक्षिका कांता पांडिया की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
  • सख्त संदेश: शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में अमर्यादित आचरण करने वाले शिक्षकों को कड़ी सजा दी जाएगी ताकि शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन बना रहे।

शिक्षा मंत्री का संदेश

मदन दिलावर ने सार्वजनिक पत्र के माध्यम से सभी शिक्षकों से आग्रह किया:

  1. शिक्षकों को अपने आचरण में मर्यादा बनाए रखने की हिदायत दी।
  2. विद्यार्थियों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करने का आह्वान किया।
  3. राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों को सख्ती से रोका जाएगा।

शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन की प्रतिबद्धता

यह घटना राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और नैतिकता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

  • इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि किसी भी प्रकार का अनुचित आचरण स्वीकार्य नहीं होगा।
  • शिक्षकों को अपने कार्यस्थल पर विद्यार्थियों के प्रति जिम्मेदारी और आदर्श व्यवहार बनाए रखने का संदेश दिया गया है।

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चित्तौड़गढ़ की यह घटना शिक्षा जगत के लिए एक सबक है। स्कूल, जो बच्चों के भविष्य निर्माण का केंद्र होता है, वहां अनुशासन और मर्यादा का पालन आवश्यक है। इस सख्त कार्रवाई से राज्य सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में अनुशासनहीनता के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति को मजबूती से प्रस्तुत किया है।

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