इंदौर
सरकारी एमवाय अस्पताल (MY Hospital) के एनआईसीयू (Neonatal Intensive Care Unit) में चूहों के कुतरने से एक नवजात की मौत के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह घटना केवल एक अस्पताल की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की असफलता को उजागर करती है। बारिश के मौसम में बिलों में पानी भरने के कारण चूहे बाहर निकल आए हैं और अस्पताल परिसर में उनकी संख्या खतरनाक स्तर पर पहुँच गई है।
नवजात की मौत से गहराया विवाद
एनआईसीयू में भर्ती दो नवजातों के हाथ-पैर चूहों ने कुतर दिए थे। इनमें से एक मासूम की मंगलवार को मौत हो गई। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि बच्चे की मौत चूहे के काटने से नहीं बल्कि संक्रमण के कारण हुई। इस बयान ने विवाद और बढ़ा दिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए अस्पताल के डीन से स्पष्टीकरण माँगा है।
नर्सिंग स्टाफ पर कार्रवाई, आक्रोश भड़का
घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने दो नर्सिंग ऑफिसर को निलंबित कर दिया और कई अन्य को शोकॉज नोटिस जारी किया। वहीं नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि इसमें उनका सीधा दोष नहीं है। उनका आरोप है कि जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई करने के बजाय निचले स्तर के कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। इससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है।

चूहों का गढ़ क्यों बना अस्पताल?
एमवाय अस्पताल और इससे सटे चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, कैंसर अस्पताल, टीबी अस्पताल और चेस्ट सेंटर पूरे चूहों का अड्डा बन गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों के परिजन वार्ड में खाने-पीने का सामान लाते हैं, जिससे चूहों को पर्याप्त भोजन मिलता है। वहीं, दवाओं और ग्लूकोज से उन्हें अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है, जो उनकी प्रजनन क्षमता को और तेज कर देती है।
पुराना इतिहास भी रहा चिंताजनक
अस्पताल में चूहों का आतंक कोई नई बात नहीं है।
1994 में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. सुधीरंजन मोहंती ने पेस्ट कंट्रोल अभियान चलाया था, जिसमें 12 हजार चूहे मारे गए थे।
2014 में तत्कालीन कमिश्नर संजय दुबे ने भी अभियान चलाया था, जिसमें ढाई हजार चूहे खत्म किए गए थे।
इसके बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सका।
पेस्ट कंट्रोल और सुरक्षा इंतज़ाम
प्रबंधन का कहना है कि अब हर 15 दिन में पेस्ट कंट्रोल किया जा रहा है। एनआईसीयू में चूहों की आवाजाही रोकने के लिए रास्तों को प्लाईवुड से बंद किया गया है। फिलहाल यूनिट में केवल दो नवजात भर्ती हैं और स्टाफ उनकी निगरानी कर रहा है।
राजनीतिक हमले तेज
इस घटना पर राजनीति भी गरमा गई है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर सरकार और प्रशासन पर हमला बोला। उन्होंने लिखा – “नवजातों को चूहों ने नहीं, भ्रष्ट प्रशासन ने क्षति पहुँचाई है। एमवाय की अराजकता भाजपा शासन की देन है। भ्रष्टाचार से नेताओं का पेट भर रहा है, लेकिन गरीब बच्चों की जान पर बन आई है।”
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एमवाय अस्पताल में नवजात की मौत और चूहों का आतंक केवल प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि दशकों से चली आ रही समस्या का स्थायी समाधान क्यों नहीं हो पाया। फिलहाल प्रबंधन की सफाई और कार्रवाई कितनी कारगर होती है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।