उत्तर प्रदेश, 11 सितंबर 2024: भारत-नेपाल सीमा पर हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर चाइनीज लहसुन की तस्करी पकड़ी गई है। चाइनीज लहसुन, जिसे भारत में बैन किया गया है, का 1400 बोरियों का एक बड़ा खेप जब्त किया गया है। इस लहसुन के भारत में बैन होने की कई वजहें हैं, जिसमें इसकी गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर प्रभाव प्रमुख हैं।
बाजार में सस्ते दाम, तस्करी का बड़ा मुद्दा:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में उगे लहसुन की कीमत 260 से 300 रुपये प्रति किलो के बीच है, जबकि चाइनीज लहसुन केवल 100 से 150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। भारत-नेपाल सीमा पर तैनात कस्टम अधिकारियों ने बताया कि तस्कर इस मूल्य अंतर का फायदा उठाते हुए बड़ी मात्रा में चाइनीज लहसुन को नेपाल के रास्ते भारत ला रहे हैं।
उत्तर प्रदेश:-सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई
कस्टम के डीसी बैभव सिंह ने पुष्टि की है कि पिछले एक महीने में लगभग 16 टन चाइनीज लहसुन जब्त किया गया है। इन बोरियों को जब लैब टेस्ट के लिए भेजा गया, तो यह फंगस से संक्रमित पाया गया। इसके बाद, कस्टम कार्यालय ने इन बोरियों को नष्ट कर दिया। सिंह ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल में चाइनीज लहसुन के डंपिंग की सूचना के बाद भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी थी।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:
डॉक्टर अमित राव गौतम ने बताया कि चाइनीज लहसुन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह लहसुन प्राकृतिक तरीके से नहीं उगाया जाता, बल्कि इसे आर्टिफिशियल तरीकों से उत्पादन किया जाता है। इसके सेवन से गैस्ट्राइटिस, पेट में सूजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
भारत में बैन की वजहें:
भारत ने 2014 में चाइनीज लहसुन पर बैन लगाया था, जिसका कारण था कि इस लहसुन में फंगस की उपस्थिति और अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग। इसके अलावा, चाइनीज लहसुन की गुणवत्ता और स्वच्छता पर भी गंभीर चिंताएं जताई गई थीं।

गुजरात में विवाद:
हाल ही में गुजरात के राजकोट जिले के गोंडल स्थित कृषि उपज बाजार समिति (APMC) में भी चाइनीज लहसुन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। व्यापारियों ने बाजार में प्रतिबंधित चीनी लहसुन की अवैध आपूर्ति का विरोध किया। करीब 500 लहसुन व्यापारियों ने नीलामी को रोक दिया और इस मुद्दे पर नारेबाजी की। APMC चेयरमैन अल्पेश ढोलरिया ने राज्य और केंद्र सरकार को इस मामले में जांच की अपील की थी।
निष्कर्ष:
चाइनीज लहसुन की भारत में बैन के बावजूद सस्ते दामों पर उपलब्धता और उसकी तस्करी एक गंभीर मुद्दा बन गई है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई इस बात का संकेत है कि भारत सरकार प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी को रोकने के लिए कठोर कदम उठा रही है। इसके बावजूद, इस मुद्दे पर व्यापक जागरूकता और कठोर निगरानी की आवश्यकता है ताकि भारतीय बाजार में केवल सुरक्षित और गुणवत्ता वाले उत्पाद ही उपलब्ध हों।
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