झांसी/रोहतास: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। पुलिस ने 6 जनवरी 2025 को एक ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लिया है, जिसकी कथित हत्या के आरोप में 4 लोग पिछले 17 साल से कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। इनमें से एक व्यक्ति की तो मौत भी हो चुकी है। यह मामला बिहार के रोहतास जिले का है और अब 17 साल बाद इस व्यक्ति के जिंदा मिलने से सभी चौंक गए हैं।
क्या है मामला?
बिहार के रोहतास जिले में 12 सितंबर 2008 को नथुनी पाल नाम के व्यक्ति के परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट अकोढ़ीगोला थाने में दर्ज कराई थी। कुछ दिनों बाद परिवार ने यह दावा किया कि नथुनी पाल की हत्या उनके ही रिश्तेदारों—रति पाल, विमलेश पाल, भगवान पाल और सत्येंद्र पाल ने की है। परिवार का आरोप था कि जमीन हड़पने के लिए इन चारों ने मिलकर नथुनी की हत्या कर दी।
इस आरोप के आधार पर पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 8 महीने तक जेल में रहना पड़ा। इसके बाद वे जमानत पर रिहा हुए, लेकिन उनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई। बाकी तीन अब भी ट्रायल का सामना कर रहे हैं।
झांसी में मिला “मरा हुआ” व्यक्ति
6 जनवरी 2025 को झांसी पुलिस को एक संदिग्ध व्यक्ति के बारे में सूचना मिली। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और पूछताछ की तो उसने बताया कि वह बिहार का रहने वाला नथुनी पाल है। जांच में पता चला कि यह वही व्यक्ति है, जिसकी हत्या के आरोप में रोहतास जिले के चार लोगों पर मामला चल रहा है।
झांसी पुलिस ने तुरंत बिहार पुलिस से संपर्क किया। नथुनी पाल की जानकारी पुलिस रिकॉर्ड से मेल खा गई। इसके बाद उसे बिहार लाया गया और उसके पैतृक गांव ले जाकर पहचान की पुष्टि की गई।

नथुनी ने क्यों छोड़ा था घर?
पुलिस पूछताछ में नथुनी पाल ने बताया कि 2008 में वह किसी बात से परेशान होकर घर छोड़कर चला गया था। इन 17 सालों में वह इधर-उधर भटकता रहा और अलग-अलग जगहों पर काम करके अपनी जिंदगी बिताई। उसने कभी अपने परिवार से संपर्क नहीं किया।
झूठे आरोपों का बोझ और एक बेगुनाह की मौत
नथुनी पाल के “जिंदा” होने की खबर उन तीनों लोगों के लिए राहत लेकर आई है, जो इतने सालों से कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन इस घटना ने उनकी जिंदगी को गहरा आघात पहुंचाया है।

चारों आरोपियों में से एक व्यक्ति की केस के दौरान मौत हो गई। बाकी तीन—रति पाल, विमलेश पाल और भगवान पाल—ने न सिर्फ जेल में समय बिताया बल्कि मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न का भी सामना किया।
SHO ने क्या कहा?
अकोढ़ीगोला थाने के प्रभारी चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि नथुनी पाल का शव कभी बरामद नहीं हुआ था। हत्या का मामला दर्ज होने के बावजूद पुलिस के पास ठोस सबूत नहीं थे। अब नथुनी पाल के जिंदा मिलने से साफ हो गया है कि आरोप झूठे थे।
क्या होगा अब?
पुलिस ने कहा है कि नथुनी पाल के जिंदा मिलने के बाद अदालत में सभी तथ्य पेश किए जाएंगे। इसके बाद झूठे आरोपों में फंसे तीनों लोगों को न्याय मिल सकता है। वहीं, इस घटना ने कानूनी प्रक्रिया और जांच प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है।

सबक और सवाल
यह मामला न केवल इन तीन लोगों की जिंदगी बर्बाद होने की कहानी है, बल्कि इस पर भी सवाल उठाता है कि कैसे बिना ठोस सबूत के किसी पर हत्या जैसा गंभीर आरोप लगाया जा सकता है। 17 साल तक इन लोगों ने अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी रही।
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अब सवाल यह है कि इस गलती के लिए जिम्मेदार कौन है और इन तीनों लोगों को हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी?