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सीधी:-एनजीटी के नियमों की खुलेआम धज्जियाँ: जेपी प्लांट निगरी के फ्लाई ऐश का गोपद नदी में फेंकाव

सीधी, 21 अगस्त 2024: मध्य प्रदेश के सीधी और सिंगरौली जिलों की सीमा पर स्थित जेपी प्लांट निगरी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने फ्लाई ऐश वेस्टेज को गोपद नदी में फेंकने का गंभीर आरोप झेला है। यह कार्रवाई पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही है और इससे नदी का पानी प्रदूषित हो गया है।

सीधी घटना का विवरण

जेपी प्लांट निगरी, जो सीमेंट का उत्पादन करता है, का फ्लाई ऐश वेस्टेज गोपद नदी में बहा दिया गया है। फ्लाई ऐश, जो कि प्लांट से निकलने वाला कचरा है, को सही ढंग से निपटाने की जिम्मेदारी प्रबंधन की होती है। लेकिन प्लांट ने इस कचरे को एक छोटे नाले के माध्यम से नदी में बहा दिया, जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो गया।

स्थानीय समाजसेवियों द्वारा इस गंभीर मुद्दे की सूचना मिलने के बाद, प्रबंधन को घटनास्थल पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। प्रबंधन ने इस घटना को छुपाने की कोशिश की, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने तुरंत कार्रवाई की।

गांवों पर प्रभाव

निगरी प्लांट से 17 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम भरसेड़ी में 30,000 मैट्रिक टन फ्लाई ऐश को फैला दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, गांव में फसलों की बर्बादी, पानी में प्रदूषण, और हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। 250 बैगा समुदाय के लोग त्वचा और टीबी जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं।

फ्लाई ऐश के ढेर को ढकने के लिए मिट्टी का उपयोग किया गया, जिससे मिट्टी का कटाव शुरू हो गया है और गंदा पानी अब नदी, नाले और कुएं में भर रहा है। पानी का रंग हरा हो गया है और इसे पीने के योग्य नहीं माना जा रहा है, फिर भी लोग इसका उपयोग कर रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

सीधी जिले के धौहनी क्षेत्र के विधायक कुंवर सिंह टेकाम ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार किया है और सिंगरौली जिला प्रशासन को सूचित किया। उन्होंने स्थानीय लोगों के इलाज की व्यवस्था और फ्लाई ऐश के उचित निपटान की मांग की है।

क्षेत्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी संजीव मेहरा ने बाउंड्री वॉल टूटने को प्राकृतिक आपदा का कारण बताया और इसे सुधारने का आश्वासन दिया।

सिंगरौली जिला कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा कि बांध टूटने की जानकारी मिलते ही उन्होंने नायब तहसीलदार और उनकी टीम को मौके पर भेजा था। हालांकि, भरसेड़ी में लोगों की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी।

निष्कर्ष

यह घटना एनजीटी के नियमों की अवहेलना की गंभीर मिसाल है। प्रशासन को तुरंत प्रभावी कदम उठाकर इस संकट का समाधान करना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।

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