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ऑपरेशन सिंदूर के बाद सर्वदलीय एकता: आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार को विपक्ष का समर्थन

पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoK) में चलाए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद केंद्र सरकार ने संसद भवन स्थित लाइब्रेरी हॉल में सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद सभी दलों ने एक सुर में मोदी सरकार को आतंकवाद के खिलाफ पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिया।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सरकार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत अब तक लगभग 100 आतंकियों को मार गिराया गया है। यह कार्रवाई पाकिस्तान और PoK में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि पाकिस्तान की ओर से फिर किसी प्रकार की उकसावे की कार्रवाई हुई, तो भारत की ओर से और भी कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी।

बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि, “विषय गंभीर था और हमें खुशी है कि सभी दलों का साथ मिला। रक्षामंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी विपक्ष को दी। सरकार की मंशा थी कि इस विषय पर राजनीति न हो, और विपक्ष ने भी परिपक्वता दिखाई।”

रिजिजू ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक चल रहा अभियान है (ongoing operation), इसलिए फिलहाल विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। हालांकि, उन्होंने यह दोहराया कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क और सक्रिय हैं।

सर्वदलीय बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुटता ज़रूरी है। इस मौके पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का समर्थन करते हुए इसे देशहित में ठहराया।

यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष एक साथ आए हों, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर की गंभीरता और संभावित असर को देखते हुए यह बैठक विशेष मानी जा रही है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों से सीमा पर तनाव बढ़ा है और खुफिया रिपोर्टों में आतंकी गतिविधियों में इजाफे की बात कही जा रही थी। ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर को भारत की पूर्व-खुफिया आधारित निर्णायक कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।

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यह सर्वदलीय एकता दर्शाती है कि जब बात राष्ट्रीय अखंडता और सुरक्षा की हो, तब सियासी मतभेद पीछे रह जाते हैं। इससे देश के भीतर और सीमा पार स्पष्ट संदेश जाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

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