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कोलकाता रेप-मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने CBI से मांगी ‘फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट’, FIR में देरी पर उठे सवाल

कोलकाता:- कोलकाता के चर्चित ‘जूनियर डॉक्टर रेप-मर्डर केस’ पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। इस केस के संबंध में, अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से एक ताजा स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है और FIR में देरी को लेकर सवाल उठाए हैं। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने सोशल मीडिया से पीड़िता की तस्वीरें हटाने का भी निर्देश दिया है और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि RG Kar Medical College में किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को प्रवेश न मिले।

कोलकाता मामले की ताजगी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं, ने इस केस पर स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने CBI को अपनी जांच जारी रखने की निर्देश दिए हैं और आगामी सुनवाई की तारीख 17 सितंबर 2024 निर्धारित की है। इस बीच, कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था, जिसमें बताया गया था कि कैसे अस्पताल में उग्र भीड़ ने क्राइम सीन को नुकसान पहुँचाया था।

FIR में देरी: गहन जांच की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की FIR में हुई कम से कम 14 घंटों की देरी पर चिंता जताई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शिकायत की है कि पश्चिम बंगाल सरकार RG Kar Medical College की सुरक्षा में लगे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) कर्मियों के साथ उचित सहयोग नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि आवश्यक सुरक्षा उपकरणों और परिवहन की कमी के कारण CISF कर्मियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 9 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला कब दर्ज किया था। सॉलिसिटर जनरल ने दावा किया कि मामला रात 11:30 बजे दर्ज किया गया, जबकि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इसका समय दोपहर 2:55 बजे बताया। इसके अलावा, CJI ने रिपोर्ट की सीलबंद स्थिति पर सवाल उठाया और पूछा कि क्यों स्टेटस रिपोर्ट को छिपाया गया।

डॉक्टरों की हड़ताल और उसके प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में, कपिल सिब्बल ने बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हो गई है। 14 अगस्त को RG Kar Medical College में उग्र भीड़ घुस गई थी, जिसने अस्पताल और क्राइम सीन को नुकसान पहुँचाया। पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी, जिसे राज्य सरकार ने सीलबंद लिफाफे में पेश किया।

CCTV फुटेज और फॉरेंसिक परिणाम

CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि CCTV फुटेज में आरोपी को सेमिनार हॉल में घुसते और निकलते देखा गया था। हालांकि, CBI ने शिकायत की कि कोलकाता पुलिस ने केवल 27 मिनट की CCTV फुटेज उपलब्ध कराई है, जबकि शुरुआत के 5 घंटे महत्वपूर्ण थे। CBI ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने क्राइम सीन की सही तरीके से घेराबंदी नहीं की और जांच में पांच दिन की देरी की।

सॉलिसिटर जनरल ने फॉरेंसिक रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया, जिसमें पीड़िता का शव अर्धनग्न अवस्था में पाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि फॉरेंसिक नमूनों को AIIMS और अन्य CFSL के लिए भेजने की आवश्यकता है। CJI ने शव के चालान के अभाव पर भी सवाल उठाया और पूछा कि पोस्टमार्टम कैसे किया गया।

CISF कर्मियों के लिए आवास की कमी

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, तुषार मेहता ने RG Kar Medical College में CISF कर्मियों के लिए आवास की कमी की शिकायत की। कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि CISF के लिए उपलब्ध आवास की पहचान खुद CISF ने की थी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुरक्षा उपकरणों और आवास की कमी के कारण कर्मियों को ड्यूटी में कठिनाई हो रही है।

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निष्कर्ष

इस महत्वपूर्ण केस की सुनवाई ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं, जिसमें FIR में देरी, फॉरेंसिक साक्ष्यों की जांच, और सुरक्षा व्यवस्था की कमी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने CBI से ताजगी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है और राज्य सरकार से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी जवाब माँगा है। 17 सितंबर को अगली सुनवाई में इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और उम्मीद की जा रही है कि अदालत जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करेगी।

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