मुंबई, 11 नवंबर 2024 – भारत-रूस रिश्तों को और मजबूत और गहरे दोस्ताना रिश्तों में बदलने के लिए भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 10 महत्वपूर्ण कदमों का सुझाव दिया है। मुंबई में आयोजित भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में ध्यान देने योग्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि रूस ने 2022 के बाद से एशिया पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग के कई नए अवसर खुले हैं। भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती और मजबूत साझेदारी के आधार पर, इन 10 महत्वपूर्ण कदमों को लागू कर दोनों देशों के रिश्ते और भी प्रगाढ़ हो सकते हैं।

1. द्विपक्षीय व्यापार को 66 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुँचाना
डॉ. जयशंकर ने बताया कि वर्तमान में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 66 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है, लेकिन 2030 तक इसे 100 बिलियन डॉलर तक पहुँचाना एक यथार्थवादी लक्ष्य है। इसके लिए दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग को और प्रोत्साहित किया जाएगा।
2. व्यापार संतुलन में सुधार की आवश्यकता
उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार संतुलन वर्तमान में बहुत एकतरफा है और इसे तुरंत सुधारने की आवश्यकता है। रूस के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए दोनों देशों को अपने-अपने बाजारों का अधिकतम उपयोग करना होगा।
3. यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ व्यापार में प्रगति
भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के साथ व्यापार-वस्तु वार्ता इस वर्ष मार्च में शुरू की गई थी। विदेश मंत्री ने इसे गति देने और इसे प्रभावी रूप से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दोनों पक्षों के लिए लाभकारी समझौते किए जा सकें।
4. द्विपक्षीय निवेश मंच का गठन
डॉ. जयशंकर ने अप्रैल 2024 में मास्को में पहले द्विपक्षीय निवेश मंच के आयोजन का उल्लेख किया। इस मंच पर किए गए चर्चाएं और समझौतों से दोनों देशों के व्यापार और निवेश को नया आयाम मिलेगा।
5. रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र में सहयोग
2024-2029 तक रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में सहयोग के कार्यक्रम पर जुलाई में हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें कनेक्टिविटी क्षेत्र भी शामिल है, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को और मजबूती देगा।
6. राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार
वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में, डॉ. जयशंकर ने राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार के महत्व पर जोर दिया। यह दोनों देशों के बीच वित्तीय लेन-देन को आसान बनाएगा और बाहरी दबावों से बचाएगा।
7. सीमा शुल्क अधिकारियों के द्विपक्षीय समझौते से व्यापार में आसानी
2024 में भारत और रूस के सीमा शुल्क अधिकारियों के बीच एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो व्यापार को और सरल और प्रभावी बनाएगा। इससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में आसानी आएगी।
8. कनेक्टिविटी पहल पर ध्यान
डॉ. जयशंकर ने तीन प्रमुख कनेक्टिविटी पहलों की पहचान की, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा, और उत्तरी समुद्री मार्ग शामिल हैं। इन परियोजनाओं पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि उनका पूरा उपयोग किया जा सके और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संपर्क मजबूत हो।
9. मेक इन इंडिया के प्रति रूस की बढ़ती प्रशंसा
रूस की ओर से भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की बढ़ती प्रशंसा दोनों देशों के सहयोग को एक नई दिशा देगी। इससे रूस में भारत के उत्पादों के लिए नए अवसर पैदा होंगे, और भारत को रूस में अपना उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा।
10. शिक्षा और फिल्म जैसे गैर-आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग
अंतिम बिंदु पर डॉ. जयशंकर ने शिक्षा और फिल्म उद्योग जैसे गैर-आर्थिक क्षेत्रों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से दोनों देशों के बीच एक मजबूत सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित होंगे, जो द्विपक्षीय रिश्तों को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

निष्कर्ष
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डॉ. जयशंकर ने इन 10 प्रमुख बिंदुओं के जरिए भारत और रूस के रिश्तों को नई दिशा देने की जरूरत पर बल दिया। उनका कहना था कि दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ाने के लिए व्यापार, कनेक्टिविटी, निवेश, और सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्र में ठोस कदम उठाने होंगे। अगर इन 10 सुझावों पर सही तरीके से काम किया गया, तो भारत और रूस आने वाले वर्षों में एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त बन सकते हैं और दोनों देशों को वैश्विक स्तर पर नए अवसरों का सामना करने में मदद मिल सकती है।