नई दिल्ली:– भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। 10 अगस्त 2024 को, उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर ने पूरे देश में शोक की लहर दौड़ा दी है।
नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1929 को राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर और सिंधिया स्कूल ग्वालियर में हुई, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। नटवर सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कॉर्पस कॉलेज से की और कुछ समय के लिए पीकिंग यूनिवर्सिटी में विजिटिंग स्कॉलर के तौर पर भी काम किया।

भारतीय विदेश सेवा
1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल होने के बाद, नटवर सिंह ने 31 वर्षों तक राजनयिक सेवा की। उनके उल्लेखनीय करियर में पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत के रूप में कार्य शामिल था। 1966 से 1971 तक, वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे और उनके विशेष सहायक के तौर पर काम किया।
1984 में नटवर सिंह ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर भरतपुर से सांसद के रूप में चुने गए। 2004 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार में उन्हें विदेश मंत्री का पद सौंपा गया। हालांकि, 2005 में ऑयल फॉर फूड घोटाले में उनका नाम आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
नई दिल्ली: पद्म भूषण से सम्मानित
नटवर सिंह को उनकी सेवाओं के लिए 1984 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और संस्मरण लिखे हैं, जिनमें ‘द लिगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट’, ‘माई चाइना डायरी 1956-88’ और उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ शामिल हैं। उनकी आत्मकथा ने विशेष ध्यान आकर्षित किया, जिसमें सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद ठुकराने की कहानी का विस्तार से वर्णन है।
नटवर सिंह का निधन एक महत्वपूर्ण राजनयिक और राजनीतिक हस्ताक्षर की समाप्ति है, जिन्होंने भारतीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गहरा प्रभाव डाला। उनके योगदान और करियर की सराहना करते हुए, उनके परिवार और देशवासियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
अंतिम संस्कार
उनका अंतिम संस्कार 12 अगस्त 2024 को लोधी रोड पर किया जाएगा। नटवर सिंह के निधन से भारतीय राजनीति और समाज ने एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को खो दिया है, जिनका कार्यकाल और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा।