Homeबड़ी खबरेनिति आयोग की भूमिका पर उठे सवाल: दस राज्य और केंद्र शासित...

निति आयोग की भूमिका पर उठे सवाल: दस राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि बैठक से रहे नदारद

नई दिल्ली: निति आयोग की नौवीं संचालन परिषद की बैठक से दस राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने अनुपस्थित रहकर आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्री ने इसे बजट में अपने राज्यों के लिए पर्याप्त आवंटन और परियोजनाओं की कमी के विरोध में बहिष्कार किया। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक के दौरान वॉकआउट किया।

वित्त मंत्रालय के पास राज्यों को अनुदान देने का पूरा अधिकार है, जबकि योजना आयोग ने इन मुद्दों पर राज्यों से परामर्श किया था। भाजपा के राज्यो में “डबल इंजन” सरकारों के वादे से विपक्ष खासा नाराज चल रहा है, विपक्ष का आरोप है की भाजपा सरकार वाले प्रदेशों को निवेश में प्राथमिकता दिया जा रहा है। इसमें सबसे पहले बिहार और आंध्र प्रदेश को कटघरे में लाया गया।

एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में स्थापित निति आयोग का उद्देश्य प्लानिंग कमीशन को बदलना और “सहकारी संघवाद” पर ध्यान केंद्रित करना था। योजना आयोग की “ऊपर से नीचे” दृष्टिकोण की आलोचना के बाद, निति आयोग को एक सलाहकार निकाय के रूप में सीमित कर दिया गया था। इसका उद्देश्य राज्यों की प्रगति का मूल्यांकन करना और केंद्रीय सरकार को सलाह देना है। लेकिन इसके पास संसाधनों के वितरण या आवंटन की शक्ति नहीं है, जिसके कारण राज्यों में “प्रतिस्पर्धी संघवाद” की भावना बढ़ गई है।

यह देखा गया है कि प्लानिंग कमीशन के समाप्त होने के बाद से राज्यों के साथ अनुदान और परियोजनाओं पर परामर्श सीमित हो गए हैं। 16 वें वित्त आयोग का उद्देश्य राज्यों के बीच असमानता को दूर करना है और वित्त मंत्रालय का ध्यान मैक्रो-आर्थिक स्थिरता और वित्तीय प्रणाली पर है। राज्यों में बुनियादी ढांचे और पूंजी निवेश के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र में समर्थन की आवश्यकता है।

RELATED ARTICLES

Most Popular