ढाका:- बांग्लादेश में हाल ही में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का माहौल पैदा हो गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद त्यागने और देश छोड़कर भागने के बाद, बांग्लादेश सेना ने सत्ता संभाली है। इस तख्तापलट के बाद हिन्दू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिसमें कई हिन्दू मंदिरों और घरों पर हमले किए गए हैं।
हिंसा की घटनाएं
सैन्य तख्तापलट के दौरान और बाद में, हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं। चार हिन्दू मंदिरों पर हमले हुए और उन्हें नुकसान पहुंचाया गया है। खलना डिवीजन के मेहरपुर में एक ISKCON मंदिर को आग लगा दी गई, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलदेव, और सुभद्रा देवी की मूर्तियों को भी जलाया गया|
जुलाई 2024 में, छात्रों द्वारा सरकारी नौकरी के कोटे के विरोध में प्रदर्शनों की शुरुआत हुई थी। हालाँकि सरकार ने इस योजना को वापस ले लिया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग जारी रखी। बढ़ते दबाव और हिंसा के बीच, शेख हसीना ने अंततः 5 अगस्त 2024 को इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण ली|
सेना का हस्तक्षेप और अंतरिम सरकार:
सेना प्रमुख ने एक टेलीविज़न संबोधन में अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की, हालांकि इसके विवरण अभी तक स्पष्ट नहीं किए गए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में शांति और लोकतांत्रिक संक्र है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सभी पक्षों से संयम बरतने और हिंसा से बचने का आग्रह किया है। उन्होंने स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है ताकि हाल की हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जा सके।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
बांग्लादेश का इतिहास सैन्य तख्तापलटों से भरा हुआ है। 1975 में हुए तख्तापलट में राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से, देश में कई बार हुआ है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। मौजूदा स्थिति इस लंबे और कठिन इतिहास की एक और कड़ी है, जिससे देश को फिर से स्थिरता की ओर ले जाना एक बड़ी चुनौती है|
भारत और चीन जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी यह स्थिति चिंताजनक है। बांग्लादेश में स्थिरता की कमी से क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषकर भारत के लिए, जो हमेशा से शेख हसीना का समर्थन करता रहा है, अब नए राजनीतिक समीकरणों के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक होगा
राजनीतिक अस्थिरता और सांप्रदायिक तनाव
बांग्लादेश में यह तख्तापलट मुख्यतः सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण हुआ, जो विवादास्पद कोटा प्रणाली और आर्थिक मुद्दों के विरोध में शुरू हुए थे। प्रदर्शनों में तेजी आने पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी ने भी इसमें भाग लेना शुरू कर दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इन प्रदर्शनों के दौरान हिन्दू समुदाय को खास निशाना बनाया गया|
अतीत के तख्तापलट और वर्तमान स्थिति
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट हुआ है। 1971 में भी बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें लाखों हिन्दू मारे गए थे। आज की स्थिति ने उन भयानक यादों को फिर से जीवंत कर दिया है, जिससे हिन्दू समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक संकट और सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बना दिया है। यह न केवल बांग्लादेश बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता का विषय है। बांग्लादेश की अस्थिरता से भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
बांग्लादेश में वर्तमान स्थिति न केवल राजनीतिक और आर्थिक संकट को दर्शाती है, बल्कि यह धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर कड़ी नजर रखनी होगी और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।