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भारत की जीडीपी में गिरावट, मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया निराशाजनक लेकिन चिंताजनक नहीं

भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार लगातार धीमी हो रही है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.4% पर आ गई है, जो पिछले 18 महीनों का सबसे निचला स्तर है। नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के आंकड़े बताते हैं कि यह गिरावट मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में कमजोरी, सरकारी खर्च में कटौती, और निजी उपभोग की कमी के कारण हुई है।

पिछली तिमाहियों के आंकड़े

पिछले पांच तिमाहियों के जीडीपी विकास दर इस प्रकार रहे:

तिमाहीग्रोथ रेट
जुलाई-सितंबर (2023-24)8.1%
अक्टूबर-दिसंबर (2023-24)8.6%
जनवरी-मार्च (2023-24)7.8%
अप्रैल-जून (2024-25)6.7%
जुलाई-सितंबर (2024-25)5.4%

प्रमुख सेक्टर्स का प्रदर्शन

  1. माइनिंग:
    • पिछले साल 11.1% की वृद्धि दर थी, जो इस तिमाही में गिरकर -0.1% हो गई।
  2. मैन्युफैक्चरिंग:
    • 2023-24 की दूसरी तिमाही में 14.3% की वृद्धि दर थी, लेकिन इस बार यह केवल 2.2% रही।
  3. कृषि और सर्विस सेक्टर:
    • कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, और ग्रोथ दर दोगुनी हो गई है।
    • सर्विस सेक्टर में भी सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार का बयान

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने जीडीपी में गिरावट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आंकड़े निराशाजनक हैं, लेकिन “चिंताजनक” नहीं। उन्होंने ग्लोबल सप्लाई चेन की दिक्कतों और घरेलू चुनौतियों को मुख्य कारण बताया। नागेश्वरन ने कहा:

“मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर्स पर वैश्विक कारकों का प्रभाव पड़ा है। प्राकृतिक गैस, कोयला और कच्चे तेल जैसे उप-क्षेत्रों में कमजोरी दिखी है।”

महंगाई पर सरकार का दृष्टिकोण

नागेश्वरन ने कहा कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार खाद्य आपूर्ति और कीमतों को स्थिर रखने के लिए लगातार कदम उठा रही है। उन्होंने खाद्य कीमतों में गिरावट लाने के लिए पिछले दो वर्षों में उठाए गए नीतिगत प्रयासों का उल्लेख किया।

क्या आगे उम्मीद है?

मुख्य आर्थिक सलाहकार और अन्य विशेषज्ञों को विश्वास है कि वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा। त्योहारों के दौरान बढ़ी खपत और वैश्विक स्थितियों में संभावित सुधार से विकास दर को गति मिल सकती है।

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हालांकि, जीडीपी में गिरावट एक चुनौती है, लेकिन अर्थव्यवस्था में लचीलापन और सुधारात्मक नीतियों से इसे संभालने की उम्मीद है। कृषि और सेवा क्षेत्रों में सकारात्मक प्रदर्शन, आर्थिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

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