भारत ने एक और ऐतिहासिक क्षण देखा जब अनुभवी राजनेता सी.पी. राधाकृष्णन को देश का 15वां उपराष्ट्रपति चुना गया। उनका चयन न सिर्फ लोकतांत्रिक परंपराओं की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि आने वाले समय में देश की राजनीति और संसदीय कार्यप्रणाली को नई दिशा देने वाला भी साबित होगा।
राधाकृष्णन जी लंबे समय से राजनीति और समाज सेवा से जुड़े रहे हैं। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में हमेशा साफ-सुथरी राजनीति और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। जनता के बीच उनकी पहचान एक ऐसे नेता की रही है जो जमीन से जुड़े मुद्दों पर ईमानदारी से काम करते हैं और समाज के हर वर्ग की बात को गंभीरता से सुनते हैं। यही कारण है कि उन्हें न केवल अपने दल का बल्कि विपक्षी नेताओं और आम लोगों का भी भरोसा हासिल है।
उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी संतुलित सोच और संवाद की क्षमता मानी जाती है। संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा, की कार्यवाही को वे किस तरह आगे ले जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि उनके नेतृत्व में बहस और चर्चा का स्तर और अधिक ऊँचा होगा और संवैधानिक मर्यादाओं का सम्मान भी पूरी तरह बना रहेगा।

देशवासियों का विश्वास है कि उनके अनुभव और दूरदर्शिता से संसद की कार्यप्रणाली और अधिक सकारात्मक होगी। उपराष्ट्रपति पद की यह जिम्मेदारी उनके लिए केवल एक संवैधानिक दायित्व नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के भविष्य को दिशा देने का अवसर भी है।
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