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मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री का विवादास्पद बयान: ‘कोलंबस ने नहीं, एक भारतीय ने की अमेरिका की खोज’

भोपाल, 11 सितंबर 2024: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने 11 सितंबर को एक ऐतिहासिक दावे के साथ ध्यान खींचा है, जो इतिहास के स्थापित तथ्यों को चुनौती देता है। मंत्री ने बताया कि अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने नहीं, बल्कि एक भारतीय नाविक ने की थी। इसके साथ ही, उन्होंने बीजिंग शहर के डिजाइन को लेकर भी एक नया ऐतिहासिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

अमेरिका की खोज:

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेते हुए, मंत्री परमार ने कहा, “8वीं शताब्दी में एक भारतीय नाविक अमेरिका पहुंचा और सैन डिएगो में कई मंदिरों का निर्माण किया। ये वस्तुएं आज भी वहां के संग्रहालयों में प्रदर्शित हैं। जब हम वहां गए, तो हमने उनकी माया सभ्यता को विकसित करने में मदद की। यह भारतीय सोच और दर्शन का तरीका था, जिसे सही ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने अमेरिका की खोज की थी, कोलंबस ने नहीं।”

 शिक्षा मंत्री का विवादास्पद बयान

वास्कोडिगामा की खोज:

मंत्री परमार ने दावा किया कि पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा भारत की खोज नहीं की, बल्कि वह भारतीय व्यापारी चंदन के पीछे-पीछे आया था। उन्होंने कहा, “वास्कोडिगामा ने लिखा था कि चंदन का जहाज उसके जहाज से बहुत बड़ा था – दो से चार गुना बड़ा। हालांकि, इतिहासकारों ने भारतीय छात्रों को गलत तरीके से पढ़ाया कि वास्कोडिगामा ने भारत और भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की थी।”

 शिक्षा मंत्री का विवादास्पद बयान

बीजिंग शहर का डिजाइन:

मंत्री परमार ने आगे बताया कि 12वीं शताब्दी में बीजिंग शहर की डिजाइन और आर्किटेक्चर एक नेपाली आर्किटेक्ट ने तैयार किया था, जो उस समय भारत का हिस्सा था। उन्होंने कहा, “बाल बाहु नामक आर्किटेक्ट ने बुद्ध और राम की मूर्तियां बनाई थीं और भव्य संरचनाओं को डिजाइन किया था। उन्हें बीजिंग में डिजाइन के लिए आमंत्रित किया गया था, और आज भी उनके योगदान को मान्यता देते हुए बीजिंग में उनकी एक प्रतिमा स्थापित की गई है।”

ऋग्वेद और सूर्य सिद्धांत:

मंत्री परमार ने यह भी दावा किया कि पोलिश खगोलशास्त्री निकोलस कोपरनिकस का सिद्धांत कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी उसके चारों ओर घूमती है, हमारे प्राचीन ग्रंथों में पहले से ही लिखा हुआ है। उन्होंने कहा, “हजारों साल पहले ऋग्वेद में इस तथ्य का उल्लेख किया गया था।”

मध्य प्रदेश:-विवाद और प्रतिक्रियाएँ

मंत्री परमार के इन दावों ने इतिहासकारों और शिक्षाविदों के बीच विवाद उत्पन्न कर दिया है। कई विशेषज्ञों ने इनके तथ्यों की पुष्टि की आवश्यकता और ऐतिहासिक प्रमाणों की कमी पर सवाल उठाया है। हालांकि, परमार के समर्थकों का कहना है कि यह दृष्टिकोण भारतीय इतिहास और संस्कृति को पुनः परिभाषित करने का एक प्रयास है।

निष्कर्ष:

इंदर सिंह परमार के दावे इतिहास के वर्तमान समझ और शोध पर एक नई बहस को जन्म देते हैं। क्या यह सच में एक ऐतिहासिक खोज है या पुरानी धारणाओं को चुनौती देने का एक प्रयास? इस पर आगे की जांच और चर्चा की आवश्यकता होगी। सरकार और शोधकर्ताओं के लिए यह एक अवसर हो सकता है कि वे ऐतिहासिक तथ्यों को सही तरीके से प्रस्तुत करें और भारतीय इतिहास की विविधता को समझें।

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