राजस्थान में एक बार फिर युवाओं की बेरोजगारी को लेकर नाराजगी सामने आई है, लेकिन इस बार विरोध का तरीका थोड़ा अलग है। सोशल मीडिया पर #CM_Lapata और #Berozgari_Par_CM_Khamosh जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की “लापता” बताकर खोज की जा रही है। प्रदेशभर में पोस्टर लगाकर यह आरोप लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री केवल मंदिरों में पूजा-पाठ और फोटो खिंचवाने में व्यस्त हैं, जबकि युवाओं की समस्याएं लगातार अनसुनी हो रही हैं।
मंदिरों में दिखते मुख्यमंत्री, बेरोजगारों की सुनवाई नहीं?
पिछले कुछ हफ्तों से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की विभिन्न धार्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। इन तस्वीरों को लेकर ही युवाओं और बेरोजगार संगठनों ने तंज कसना शुरू किया। पोस्टरों में लिखा गया –
“मुख्यमंत्री लापता हैं, यदि कहीं दिखें तो हमें सूचित करें। वे केवल मंदिरों में दिखते हैं, सचिवालय में नहीं।”
युवाओं का कहना है कि प्रदेश में सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया ठप पड़ी है, कई परीक्षाएं रद्द हुई हैं, कुछ में पेपर लीक की घटनाएं सामने आई हैं और नई वैकेंसी की कोई सूचना नहीं है। बावजूद इसके सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह से मौन है।
सोशल मीडिया से उठी आवाज़, हुआ प्रदेशव्यापी असर
इस विरोध को सोशल मीडिया ने एक व्यापक जनसहभागिता का रूप दे दिया है। ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हजारों युवा #CM_Lapata हैशटैग के साथ अपने गुस्से का इज़हार कर रहे हैं। कई जगहों पर युवाओं ने मुख्यमंत्री के “लापता” पोस्टर लगाकर प्रतीकात्मक विरोध जताया है।
छात्र संगठन NSUI, RJSA और बेरोजगार अभ्यर्थियों के विभिन्न समूहों ने कहा कि राज्य में गंभीर बेरोजगारी संकट है, लेकिन मुख्यमंत्री का ध्यान केवल धार्मिक कार्यक्रमों में है। यह ट्रेंड अब सिर्फ ऑनलाइन नहीं, बल्कि जमीन पर भी आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है।

विपक्ष ने भी बोला हमला
विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस मौके पर सत्ताधारी भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है।
कांग्रेस नेता ने कहा,
“मुख्यमंत्री केवल पूजा-पाठ में व्यस्त हैं, सचिवालय में न तो उनकी मौजूदगी होती है और न ही युवाओं के सवालों पर चर्चा। अगर ऐसी ही बेरुखी रही तो जनता जवाब देने में देर नहीं करेगी।”
कई पूर्व मंत्रियों और विपक्षी विधायकों ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री से बेरोजगारी पर स्पष्टीकरण की मांग की है।
सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। न ही रोजगार से जुड़ी किसी नई योजना या परीक्षा शेड्यूल पर कोई घोषणा हुई है। इससे युवाओं में निराशा और बढ़ रही है।
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राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह विरोध यूं ही बढ़ता रहा, तो यह सरकार के लिए आने वाले दिनों में राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकता है।
विशेषकर तब, जब राज्य में आने वाले महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव या अन्य जनचुनाव प्रस्तावित हों।
नाराज़गी का नया तरीका
“मुख्यमंत्री लापता हैं” जैसा तंज युवाओं की उस गहराती नाराज़गी को दिखाता है, जो लंबे समय से नौकरी, भर्ती, परीक्षा और भविष्य को लेकर अनसुनी रही है। सोशल मीडिया से शुरू हुआ यह विरोध, अब धीरे-धीरे सड़कों तक पहुंचने की तैयारी में है। यदि सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला, तो यह नाराज़गी जन आंदोलन का रूप ले सकती है।