नई दिल्ली: अगले हफ्ते कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी अमेरिका का दौरा करेंगे, जो कांग्रेस पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर और चुनौती दोनों है। राहुल गांधी टेक्सास में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे और वाशिंगटन में विभिन्न लोगों से मुलाकात करेंगे। पिछले साल उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, और यूरोप की यात्रा की थी, और उनकी लगातार विदेश यात्राओं से यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस प्रवासी भारतीयों और वैश्विक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।https://www.instagram.com/reel/C_fN_65IqM3/?igsh=cTRxb2YzOGYwcHll
राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या वे विदेश में पीएम मोदी और बीजेपी सरकार की आलोचना करेंगे, जैसा कि उन्होंने पहले किया है? यह महत्वपूर्ण है क्योंकि राहुल गांधी की यात्रा के दो हफ्ते बाद पीएम मोदी भी अमेरिका दौरे पर जाएंगे। क्या इन यात्राओं से भारत की धारा पर असर पड़ेगा, या कांग्रेस और बीजेपी अपने घरेलू विवादों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लेकर आएंगे?
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका
वरिष्ठ पत्रकार सी राजा मोहन ने इंडियन एक्सप्रेस में अपने लेख में बताया कि भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं। भारत की वैश्विक जुड़ाव की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, और देश का अंतरराष्ट्रीय व्यापार अब जीडीपी का लगभग 40 प्रतिशत है। भारतीय पर्यटक, छात्र और पेशेवर विदेश यात्रा कर रहे हैं, और प्रवासी भारतीयों की संख्या बढ़ रही है।
भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका के बीच, राजनीतिक वर्ग का वैश्विक स्तर पर जुड़ाव अपेक्षाकृत कम है। यह 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में भारत की अंतरराष्ट्रीय जागरूकता और जुड़ाव के विपरीत है, जब भारत ने वैश्विक विचारधाराओं और राजनीतिक शक्तियों के साथ संवाद स्थापित किया था।
कांग्रेस और बीजेपी की रणनीतियाँ
कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण हो गया है। बीजेपी ने पिछले तीन दशकों में अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विस्तार दिया है, खासकर प्रवासी भारतीयों के बीच। कांग्रेस ने भी अपने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस को पुनर्जीवित किया है, और प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ाव को अपने रणनीतिक उद्देश्यों में शामिल किया है।
नए अंतरराष्ट्रीयवाद की संभावनाएँ
राहुल गांधी और पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत की विदेश नीति और राजनीतिक समीकरणों में कोई नया बदलाव आएगा। दोनों नेता प्रवासी भारतीयों के समर्थन को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या वे विदेश में भारत की घरेलू राजनीति को प्रभावित करेंगे? यह भी सवाल है कि क्या वे अपनी घरेलू राजनीति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं लाएंगे और एक अनौपचारिक समझौता करेंगे?
नए वैश्विक परिदृश्य में भारत का रोल
भारतीय राजनीति को वैश्विक परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता है। कांग्रेस को अपने विदेश मामलों के विभाग को सुदृढ़ करने और उसे वैश्विक जुड़ाव के एक प्रभावी साधन के रूप में स्थापित करने की जरूरत है। जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है, भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों को इस बदलाव के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।