रीवा, 11 सितंबर 2024: मध्य प्रदेश सरकार के तहत बेटियों की सुरक्षा को लेकर किए गए वादों और आदेशों की सच्चाई रीवा में खुलकर सामने आ रही है। हालिया घटना ने एक बार फिर इस तथ्य को उजागर कर दिया है कि रीवा में असामाजिक तत्वों का हौसला इतनी ऊंचाई पर पहुंच चुका है कि वे दिनदहाड़े ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जबकि पुलिस और प्रशासन की ओर से उन्हें रोकने में गंभीर चूक देखी जा रही है।
रीवा:- घटना का विवरण
थाना सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के निपानिया बदरिया मोड़ के पास एक हृदयविदारक घटना घटी, जब तीन मनचले युवक मोटरसाइकिल पर सवार होकर जानबूझकर दो लड़कियों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दिए। घटना के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार, पलक साहू नाम की एक लड़की अपने घर से किसी काम के लिए अपनी सहेली के साथ जा रही थी। इसी दौरान, मोटरसाइकिल पर सवार तीन युवकों ने जानबूझकर लड़की को कुचलते हुए गाड़ी चला दी, जिससे लड़की को कमर और चेहरे में गंभीर चोटें आईं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, पीड़ित परिवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन गाड़ी के नंबर की कमी के कारण FIR दर्ज करने से मना कर दिया गया। पुलिस ने बिना किसी ठोस कार्रवाई के इस मामले को नजरअंदाज कर दिया, जिससे अपराधियों को संरक्षण मिला और पीड़ितों को न्याय की उम्मीदें धूमिल हो गईं।

सरकारी आदेशों की विफलता:
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए कई आदेश और योजनाएं लागू की गई हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकना और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है। हालांकि, रीवा में इन आदेशों की स्थिति पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। असामाजिक तत्व इतने हौसले में हैं कि वे बिना किसी डर के ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, जबकि पुलिस और प्रशासन का कोई ठोस प्रयास नहीं दिखता है।
सार्वजनिक सुरक्षा कैमरों की स्थिति:
सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च कर पूरे शहर में सुरक्षा कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन घटनाओं के स्थल पर कैमरों की स्थिति खासी निराशाजनक रही है। अक्सर रिपोर्ट्स आती हैं कि कैमरे बंद होते हैं या खराब पाए जाते हैं, जिससे महत्वपूर्ण समय पर अपराधियों की पहचान और कार्रवाई में बाधा आती है। रीवा की पुलिस की यही स्थिति है, जो दर्शाती है कि सुरक्षा के नाम पर किया गया सरकारी खर्च आम जनता की सुरक्षा को लेकर कितना प्रभावी रहा है।
स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया:
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सरकार और पुलिस के प्रति उनका विश्वास दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है। एक ओर जहां सरकार अपनी योजनाओं और आदेशों की वाहवाही करती है, वहीं दूसरी ओर वास्तविकता यह है कि अपराधी बेखौफ हो गए हैं और नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इस स्थिति ने आम जनता को एक असुरक्षित माहौल में डाल दिया है, जहां उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए, स्थानीय पुलिस विभाग के अधिकारियों ने यह स्वीकार किया है कि घटना के समय सुरक्षा कैमरे ठीक नहीं थे और मामले की गंभीरता को देखते हुए शीघ्र सुधार की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साथ ही, अधिकारियों ने यह आश्वासन दिया है कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएंगे।
निष्कर्ष:
रीवा में हो रही इस तरह की घटनाएं और पुलिस की लापरवाही यह दर्शाती हैं कि मध्य प्रदेश सरकार के आदेश और योजनाएं कितनी प्रभावी हैं। यह महत्वपूर्ण है कि सरकार और प्रशासन को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि अपराधियों को किसी भी तरह का संरक्षण न मिले और नागरिकों को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके।
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