हाल ही में रेल पटरियों पर विभिन्न वस्तुओं के मिलने की घटनाओं ने सनसनी फैला दी थी। इनमें गैस सिलेंडर, लोहे के खंभे, फिश प्लेट, रेलवे डेटोनेटर और अन्य चीजें शामिल थीं। इन घटनाओं के बारे में तरह-तरह के दावे किए गए, जिसमें से कई को ‘ट्रेन पलटाने की साजिश’ बताया गया। आइए जानते हैं कि इनकी जांच में क्या सच सामने आया।
1. रेल लकड़ी का टुकड़ा और नशेड़ी
घटना: 24 अगस्त को कासगंज से फर्रुखाबाद जा रही ट्रेन के रास्ते में लकड़ी का बड़ा टुकड़ा रखा गया था।
जांच: पुलिस ने पाया कि दो शराबियों, देव सिंह राजपूत और मोहन कश्यप, ने यह लकड़ी पटरी पर रखी थी ताकि वे ट्रेन को पलटाकर प्रसिद्ध हो सकें। घटना स्थल से शराब की बोतल भी मिली थी।
2. गैस सिलेंडर की घटना
घटना: 9 सितंबर को कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस के ट्रैक पर गैस सिलेंडर रखा गया था।
जांच: पुलिस ने झाड़ियों में सिलेंडर, पेट्रोल की बोतल और बारूद जैसी सामग्री मिली। 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया, और जांच में NIA को भी शामिल किया गया, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसमें आतंकवादी संगठनों का हाथ था या नहीं।

3. लोहे का खंभा और नशा
घटना: 18 सितंबर को रामपुर जिले में लोहे का 6 मीटर लंबा खंभा पटरी पर पड़ा मिला।
जांच: पता चला कि संदीप और टिंकू, जो शराब पीने के लिए वहां गए थे, नशे में खंभा छोड़कर भाग गए थे। उनका इरादा ट्रेन पलटाने का नहीं था, बल्कि वे इसे बेचने का सोच रहे थे।
4. रेलवे कर्मचारियों की तोड़फोड़
घटना: 20 सितंबर को सूरत में रेलवे ट्रैक पर तोड़फोड़ की गई।
जांच: रेलवे के तीन कर्मचारियों ने वाहवाही लूटने और पुरस्कार पाने की नीयत से इस घटना को अंजाम दिया। उन्होंने जानबूझकर ट्रैक के कुछ हिस्से हटा दिए थे और फिर उसे वापस लगा दिया। इन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

5. डेटोनेटर का फटना
घटना: 22 सितंबर को मध्य प्रदेश के खंडवा में 10 रेलवे डेटोनेटर फटे।
जांच: अधिकारियों ने बताया कि ये डेटोनेटर नियमित ऑपरेशन का हिस्सा थे और रेलवे के लिए हानिकारक नहीं होते। एक रेलवे कर्मचारी, साबिर, को इन डेटोनेटरों को चुराने के आरोप में हिरासत में लिया गया।
निष्कर्ष
इन घटनाओं की जांच में स्पष्ट हुआ कि अधिकांश मामले शराब के नशे में हुए थे या फिर व्यक्तिगत लाभ के लिए अंजाम दिए गए थे। आतंकवादी साजिश के दावे अभी तक प्रमाणित नहीं हुए हैं, लेकिन पुलिस ने सभी संभावनाओं की जांच जारी रखी है। इस तरह की घटनाएं न केवल यात्रियों की सुरक्षा को प्रभावित करती हैं, बल्कि रेलवे प्रशासन की छवि पर भी असर डालती हैं।
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