संभल और अजमेर शरीफ विवाद:
उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा के बाद सियासी माहौल गर्म है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की निचली अदालत को मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित कोई आदेश पारित न करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने का आदेश दिया गया।
अजमेर शरीफ दरगाह विवाद:
राजस्थान की एक अदालत में दायर याचिका में दावा किया गया कि अजमेर शरीफ दरगाह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई है। इस याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इसे खारिज किया और इसके लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश को जिम्मेदार ठहराया।

महबूबा मुफ्ती का बयान
महबूबा मुफ्ती ने कहा:
- ज्ञानवापी मस्जिद फैसले की आलोचना: उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद पर सर्वेक्षण की अनुमति देकर सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship Act) की अवहेलना की। इस कानून के तहत 1947 से पहले के धार्मिक स्थलों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।
- सर्वे पर निशाना: मुफ्ती ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के फैसले के बाद देश में अन्य मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने अजमेर शरीफ दरगाह विवाद को इस प्रक्रिया का हिस्सा बताया।
- देश की दिशा पर चिंता: महबूबा ने आरोप लगाया कि “मुसलमानों के घरों में मंदिर ढूंढने” जैसी गतिविधियां देश को “तबाही की ओर ले जा रही हैं।” उन्होंने इसे भारत की धर्मनिरपेक्षता और गांधी-नेहरू की बुनियाद पर खतरा बताया।
सियासी माहौल और कानून के दायरे में विवाद
- सुप्रीम कोर्ट की भूमिका: 1991 का पूजा स्थल अधिनियम विवादित स्थलों की स्थिति में बदलाव पर रोक लगाता है। इसके बावजूद, मस्जिदों और दरगाहों को लेकर सर्वे की मांग बढ़ रही है।
- सांप्रदायिक सौहार्द की चुनौती: इन विवादों ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया है, जिससे शांति और सामाजिक सौहार्द प्रभावित हो रहे हैं।
- राजनीतिक दलों की बयानबाजी: महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं ने इन मुद्दों को उठाकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका पर सवाल खड़े किए हैं।
अजमेर शरीफ दरगाह और उसकी सांस्कृतिक पहचान

- अजमेर शरीफ दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा, भारत में सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता है।
- यहां हर धर्म और संप्रदाय के लोग दर्शन के लिए आते हैं, जो इसकी सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता का उदाहरण है।
- इस विवाद ने दरगाह की 800 साल पुरानी विरासत को भी चर्चा में ला दिया है।
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संभल और अजमेर शरीफ से जुड़े विवाद न केवल कानूनी बल्कि सांप्रदायिक और सियासी मुद्दों को भी उजागर कर रहे हैं। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर न्यायपालिका, सरकार और समाज की जिम्मेदारी है कि सांप्रदायिक सौहार्द और भारतीय संविधान की मूल भावना को संरक्षित रखा जाए।