संसद का मानसून सत्र सोमवार को आरंभ होते ही पहले दिन से गरमाया नजर आया। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सत्र को आधे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है — “जब सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, तो फिर विपक्ष चर्चा से क्यों भाग रहा है?”
“लोकतंत्र चर्चा से चलता है, न कि शोरगुल से” — शिवराज का संदेश
शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर विपक्ष के रवैये को लोकतंत्र के लिए “हानिकारक” बताया। उन्होंने लिखा —
“संसद लोकतंत्र का मंदिर है और लोकतंत्र चर्चा से जीवंत होता है। सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सहित हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष चर्चा से भाग रहा है और लोकतंत्र को ‘शोरतंत्र’ में बदल रहा है।”
उनके इस बयान को भाजपा समर्थकों द्वारा खूब साझा किया जा रहा है और राजनीतिक गलियारों में इसे कांग्रेस पर सीधा हमला माना जा रहा है।
सेना के शौर्य का किया उल्लेख, विपक्ष पर लगाया ‘पाकिस्तानी भाषा’ बोलने का आरोप
चौहान ने विशेष रूप से भारतीय सेना के साहस और समर्पण का उल्लेख करते हुए कहा कि आज पूरा देश ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सेना की वीरता को सलाम कर रहा है। उन्होंने लिखा —
“आज भारतीय सेना के शौर्य की अनुगूंज पूरे विश्व में हो रही है। ऐसे समय में विपक्ष को सरकार के साथ खड़े होकर एक सुर में सेना को प्रणाम करना चाहिए था, जिससे दुनिया में संदेश जाता कि भारत एकजुट है। लेकिन इसके विपरीत विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है और सेना के पराक्रम पर सवाल उठा रहा है।”
उन्होंने आगे दावा किया कि भारतीय सेना के साहसिक ऑपरेशन की वजह से पाकिस्तान आज तक अपना ‘रहीम यार खान’ एयरबेस ठीक नहीं कर पाया है।
कांग्रेस और INDIA गठबंधन पर सीधा हमला
हालांकि कांग्रेस की ओर से अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि विपक्ष केवल सवाल पूछ रहा है और जनता के प्रति जवाबदेही की मांग कर रहा है। वहीं भाजपा नेताओं का तर्क है कि विपक्ष जानबूझकर संसद को बाधित कर रहा है ताकि सरकार अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने न रख सके।
राजनीतिक रणनीति या राष्ट्रहित?
संसद के पहले दिन की कार्यवाही बाधित होना कोई नई बात नहीं, लेकिन इस बार का विवाद कहीं ज्यादा गहराता नजर आ रहा है। सेना से जुड़े संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीतिक बयानबाजी से राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज होता दिख रहा है।
विपक्ष जहां ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सेना की कार्यशैली को लेकर सरकार से स्पष्टता मांग रहा है, वहीं भाजपा इसे राष्ट्रविरोधी रवैया कहकर विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर रही है।
यह भी पढ़ें:- सोन नदी में फंसे 25 से ज्यादा गोवंशों को SDERF और होमगार्ड ने बचाया, जोखिम में डाली अपनी जान
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में मानसून सत्र बेहद तूफानी रहने वाला है। विपक्ष और सरकार दोनों अपनी-अपनी राजनीतिक रणनीति में व्यस्त हैं। अब देखना यह होगा कि संसद की कार्यवाही में कब और कैसे वास्तविक चर्चा की शुरुआत होती है।