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हैदराबाद में ‘कराची बेकरी’ पर हमला, भीड़ ने नाम बदलने की मांग की

तेलंगाना – भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच, हैदराबाद में स्थित प्रसिद्ध ‘कराची बेकरी’ एक बार फिर विवाद का केंद्र बन गई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ हाथों में डंडे लिए बेकरी के बाहर जमा है, और वे जोर-जोर से दुकान का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं।

घटना शमशाबाद स्थित कराची बेकरी की शाखा की बताई जा रही है। पुलिस ने बताया कि भीड़ ने दुकान में कथित रूप से तोड़फोड़ की और नाम को लेकर आपत्ति जताई। हालाँकि, किसी भी कर्मचारी को शारीरिक क्षति नहीं हुई और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में ले लिया।

‘कराची’ नाम पर ऐतराज़

बेकरी के मैनेजर ने मीडिया को बताया:

“हम भारतीय हैं, हमें पाकिस्तानी कहना गलत है। कराची नाम का संबंध विभाजन के दौर के हमारे पारिवारिक इतिहास से है, न कि पाकिस्तान सरकार से। हम 1953 से हैदराबाद में बेकरी चला रहे हैं।”

बेकरी की स्थापना भारत-पाक विभाजन के बाद हैदराबाद में बसे सिंधी परिवार द्वारा की गई थी। इस ब्रांड का नाम भले ही पाकिस्तान के शहर कराची से लिया गया है, लेकिन यह पूरी तरह भारतीय स्वामित्व वाला व्यवसाय है। वर्तमान में इसकी शाखाएं दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई सहित कई शहरों में हैं, और केक, पेस्ट्री, उस्मानिया बिस्कुट जैसे प्रोडक्ट्स के लिए मशहूर है।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

आरजीआई एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर के. बालाराजू ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा:

“बेकरी को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है और स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है।”

पहले भी हो चुका है विरोध

यह पहली बार नहीं है जब कराची बेकरी को नाम को लेकर विरोध झेलना पड़ा है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी इसकी शाखाओं पर प्रदर्शन और तोड़फोड़ हुई थी। हाल ही में बंजारा हिल्स स्थित शाखा में प्रदर्शनकारियों ने तिरंगा झंडा लगाकर विरोध दर्ज कराया था।

मालिकों ने सीएम से मांगी सुरक्षा

बेकरी के मालिक राजेश और हरीश रामनानी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि नाम को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम उनके व्यवसाय और कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है।

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भारत-पाक तनाव के बीच उभरे राष्ट्रवाद और भावनात्मक उबाल का असर अब व्यवसायों तक भी दिखाई देने लगा है। कराची बेकरी के मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या नाम के आधार पर किसी भारतीय ब्रांड को पाकिस्तानी ठहराना उचित है, खासकर जब उसकी जड़ें भारतीय मिट्टी में गहरी बसी हों।

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