बिहार में मतदाता सूची को लेकर छिड़े विवाद ने राष्ट्रीय राजनीति का माहौल गर्मा दिया है। विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन का कहना है कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और यह सब सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है।
बिहार में मतदाता सूची पर विवाद
विपक्ष का आरोप है कि बिहार की मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़ने और वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाने जैसी हेराफेरी की गई है। कांग्रेस, राजद और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि यह “वोट चोरी” का मामला है। राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर वोट चोरी और फर्जी वोटिंग सहित कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यदि आयोग निष्पक्ष है तो उसे इन आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र समिति बनानी चाहिए।
चुनाव आयोग की सख्त प्रतिक्रिया
विपक्षी आरोपों पर चुनाव आयोग ने रविवार, 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करता है और विपक्ष के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। इतना ही नहीं, आयोग ने राहुल गांधी को अपने बयानों पर सात दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने या फिर माफी मांगने की चेतावनी भी दी। इस पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी और चुनाव आयोग पर ‘अहंकारी रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया।
महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर सहमति जताई। विपक्ष का कहना है कि आयोग की कार्यप्रणाली ने संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता को कमजोर किया है। हालांकि, महाभियोग प्रस्ताव संसद से पास कराना आसान नहीं होगा। इसके लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में संभव नहीं दिख रहा। बावजूद इसके विपक्ष इसे एक सांकेतिक और रणनीतिक कदम मान रहा है।

कांग्रेस का आक्रामक रुख
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन विपक्ष पर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने सवाल उठाया कि आयोग का रवैया इतना पक्षपातपूर्ण क्यों है? गोगोई के अनुसार, सीईसी का प्रेस कॉन्फ्रेंस करना संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ है।
राहुल गांधी ने भी कहा कि जब जनता वोट चोरी की बात उठा रही है, तो चुनाव आयोग को उसके सवालों का जवाब देना चाहिए। उनका कहना है कि आयोग लोकतंत्र के प्रहरी के बजाय सरकार के सहयोगी की तरह व्यवहार कर रहा है।
विपक्ष की रणनीति और प्रभाव
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि महाभियोग प्रस्ताव, चाहे पास हो या न हो, विपक्ष के लिए एक बड़ा सांकेतिक कदम साबित हो सकता है। यह न केवल चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाएगा, बल्कि INDIA गठबंधन की एकजुटता भी प्रदर्शित करेगा।
संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे पर तीखी बहस और विपक्षी प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं। विपक्ष इस प्रस्ताव को लोकतंत्र की रक्षा का प्रयास बता रहा है, जबकि सत्तारूढ़ दल इसे विपक्ष का “राजनीतिक हथकंडा” करार दे सकता है।
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मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर विपक्षी दलों के आरोप और महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी ने भारतीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर विपक्ष इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक बता रहा है, वहीं आयोग खुद को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बताकर बचाव कर रहा है। अब देखना होगा कि संसद के आगामी सत्र में यह मुद्दा किस मोड़ पर पहुंचता है और विपक्ष की रणनीति कितनी असरदार साबित होती है।