भारत के सबसे बड़े और अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दौरान केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) का प्रशिक्षित श्वान सैनिक K9 रोलो शहीद हो गया। बेल्जियन मेलिनोइज नस्ल का रोलो विस्फोटक खोजने और नक्सली ठिकानों की पहचान करने में माहिर था। लेकिन दुर्भाग्यवश, वह मधुमक्खियों के हिंसक झुंड का शिकार हो गया।
ऑपरेशन के दौरान दुखद घटना
महज दो साल का रोलो CRPF और छत्तीसगढ़ पुलिस के 21 दिन लंबे संयुक्त अभियान का हिस्सा था, जो छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रगुट्टालू हिल्स (KGH) में चलाया जा रहा था। अप्रैल 2024 में CRPF की 228वीं बटालियन में शामिल किए गए रोलो को बेंगलुरु स्थित डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग स्कूल में कड़े प्रशिक्षण से गुजारा गया था। रोलो को विशेष रूप से नक्सल विरोधी अभियानों के लिए तैयार किया गया था और उसने कई सफल ऑपरेशनों में भाग लिया था।
कैसे हुई घटना?
ऑपरेशन के दौरान CRPF की टीम और रोलो इलाके की गहन तलाशी ले रहे थे, तभी अचानक मधुमक्खियों के एक बड़े झुंड ने रोलो पर हमला कर दिया। रोलो के हैंडलर ने पॉलीथिन शीट से उसे ढकने की कोशिश की, लेकिन आक्रोशित मधुमक्खियां शीट के भीतर घुस गईं। दर्द और जलन से तड़पते रोलो ने शीट को हटा दिया, जिससे मधुमक्खियों ने और भी तेज हमला किया। लगभग 200 मधुमक्खियों के डंक से घायल रोलो बेहोश होकर गिर पड़ा। तुरंत मेडिकल इवैक्यूएशन किया गया, लेकिन इलाज से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। पशु चिकित्सक ने उसे ‘ब्रॉट डेड’ घोषित किया।

CRPF ने बहादुर श्वान रोलो को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। गार्ड ऑफ ऑनर के साथ रोलो को मरणोपरांत CRPF के महानिदेशक की ओर से एक प्रशस्ति चिन्ह से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई। अधिकारियों और जवानों ने भावुक श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि रोलो की वफादारी, साहस और कर्तव्यनिष्ठा हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
यह भी पढ़ें:- कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने उठाए INDIA ब्लॉक की एकता पर सवाल
रोलो न केवल CRPF की एक संपत्ति था, बल्कि वह उन मूक योद्धाओं में से था, जिनकी वीरता अमूमन सुर्खियों से दूर रहती है। उसकी शहादत सुरक्षा बलों के चार पैर वाले सहयोगियों के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करती है। रोलो की वीरता और बलिदान को CRPF और समूचा देश कभी नहीं भूलेगा।