हाल के दिनों में भारी बारिश के कारण देश की प्रमुख नदियों में जल स्तर तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते विभिन्न बांधों से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे बिहार और अन्य राज्यों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। आइए, जानते हैं इस संकट की जड़ें और इसके प्रभावों के बारे में।
Flood:- नदियों से छोड़े गए पानी की मात्रा
- वाल्मीकिनगर बराज: 4,74,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे दियारा क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
- कोसी बराज: 6,01,600 क्यूसेक पानी का प्रवाह, जो 1968 के बाद सबसे अधिक है, जिससे बिहार में बाढ़ के हालात और गंभीर हो गए हैं।
- माही बजाज सागर: 35,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव हुआ।
- पार्वती बांध: 17,060 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसके कारण स्थानीय नदियों का जलस्तर बढ़ा।
- बीसलपुर: 1,503 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे बनास नदी में जल स्तर में वृद्धि हुई।
- बाणसागर: 4,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे मध्यप्रदेश के कई जिलों में सतर्कता बढ़ गई।
- दामोदर नदी: झारखंड के पांच प्रमुख बांधों से 3,39,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
- नर्मदा नदी: सरदार सरोवर बांध से 3,95,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
- नारायणघाट: नेपाल से 6,10,000 क्यूसेक पानी ने बिहार के पश्चिमी चंपारण में बाढ़ की स्थिति को गंभीर बना दिया।
बिहार में बाढ़ की स्थिति
बिहार में बाढ़ की स्थिति अत्यधिक गंभीर है। कोसी, गंगा, गंडक, और कमला जैसी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। दरभंगा, सीतामढ़ी, सुपौल, और सहरसा जैसे जिलों में हजारों घर बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं, और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
अभी तक, बिहार में सात तटबंध टूट चुके हैं, जिससे सुरक्षित माने जाने वाले इलाकों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन बाढ़ के पानी का प्रवाह लगातार बढ़ता जा रहा है।
1 क्यूसेक में कितना होता है पानी?
1 क्यूसेक (Cusec) का मतलब होता है “क्यूबिक फीट प्रति सेकंड” (Cubic feet per second)।
- 1 क्यूसेक = 1 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड
- 1 क्यूबिक फीट = 28.3168466 लीटर
इस हिसाब से, 1 क्यूसेक = लगभग 28.32 लीटर प्रति सेकंड होता है। मतलब, अगर 1 क्यूसेक पानी बहता है, तो हर सेकंड में लगभग 28.32 लीटर पानी का प्रवाह हो रहा है।
निष्कर्ष
देश में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक है, और इससे प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों की तत्काल आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन को नदियों के जल स्तर पर ध्यान देने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। समय रहते उचित उपायों से ही इस संकट से निपटा जा सकता है।
ये भी पढ़ें:- बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज विद्यार्थी: सिंगरौली में स्कूल की पानी की समस्या