Google ने 2024 में वैश्विक स्तर पर 1.7 करोड़ चुनावी विज्ञापनों को अपने प्लेटफॉर्म से हटाया। ये सभी विज्ञापन असत्यापित विज्ञापनदाताओं की ओर से चलाए जा रहे थे। यह जानकारी गूगल की सालाना ‘Ads Safety Report’ के तहत सामने आई, जिसे कंपनी ने 16 अप्रैल को जारी किया।
चुनावी विज्ञापनों पर Google की सख्त नीति
Google की नीति के मुताबिक, हर चुनावी विज्ञापन में उस पर खर्च करने वाले व्यक्ति या संस्था का विवरण देना अनिवार्य है। साथ ही, यह जानकारी पब्लिक ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में भी उपलब्ध होनी चाहिए ताकि उपयोगकर्ता यह जान सकें कि किसी राजनीतिक विज्ञापन के पीछे कौन है। 2023 में गूगल ने यह भी अनिवार्य किया कि अगर कोई विज्ञापन AI-जनरेटेड है, तो उसे स्पष्ट रूप से डिस्क्लोज किया जाना चाहिए।
Google में Ads Safety के जनरल मैनेजर एलेक्स रोड्रिगेज ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा,
“चुनावी विज्ञापन भले ही कुल विज्ञापन संख्या का छोटा हिस्सा हों, लेकिन इनका महत्व बहुत बड़ा है। इसलिए हम इन पर विशेष ध्यान देते हैं।”
हालांकि, उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि 2024 में कुल कितने चुनावी विज्ञापन गूगल के प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित किए गए।
भारत में भारी सख्ती, 29 लाख विज्ञापन अकाउंट सस्पेंड
गूगल ने 2024 में दुनिया भर में कुल 3.92 करोड़ विज्ञापन अकाउंट्स सस्पेंड किए। इनमें से लगभग 29 लाख अकाउंट भारत में पंजीकृत थे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत में भी गूगल ने विज्ञापन सुरक्षा को लेकर व्यापक कदम उठाए हैं।

इसके अलावा, कंपनी ने कुल 510 करोड़ विज्ञापनों को ब्लॉक या डिलीट किया। अधिकतर मामलों में, इन विज्ञापनों को दिखाए जाने से पहले ही ब्लॉक कर दिया गया था।
BJP ने गूगल पर खर्च किए थे 156.95 करोड़ रुपये
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गूगल के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन देने के लिए 156.95 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं, मेटा (फेसबुक-इंस्टाग्राम) पर 24.63 करोड़ रुपये का खर्च किया गया।
BJP ने उस साल लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई और डिजिटल प्रचार अभियान में सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरी।
गूगल की सत्यापन प्रक्रिया
गूगल ने 2024 में लगभग 8,900 नए चुनावी विज्ञापनदाताओं का सत्यापन किया। इस प्रक्रिया में दो प्रमुख चरण होते हैं:
- स्थान सत्यापन: विज्ञापनदाता वहीं का निवासी है या नहीं, यह जांचा जाता है।
- पहचान सत्यापन: विज्ञापन देने वाले की पहचान (जैसे सरकारी दस्तावेज आदि) की पुष्टि की जाती है।
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गूगल का यह कदम चुनावी पारदर्शिता और दुष्प्रचार को रोकने के प्रयासों का हिस्सा है। फर्जी, गुमराह करने वाले या बिना पहचान वाले विज्ञापनदाता न केवल लोकतंत्र को प्रभावित करते हैं, बल्कि यूजर्स के भरोसे को भी चोट पहुंचाते हैं।
जहां एक ओर डिजिटल प्लेटफॉर्म चुनावी प्रचार के लिए प्रभावशाली माध्यम बन चुके हैं, वहीं दूसरी ओर इनके दुरुपयोग की संभावना भी बढ़ी है। ऐसे में Google जैसे प्लेटफॉर्म्स द्वारा की गई सख्त कार्रवाई स्वच्छ और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए एक जरूरी कदम है।