Homeबड़ी खबरेNCPCR:- मदरसों की फंडिंग बंद करने की सिफारिश: NCPCR की नई रिपोर्ट

NCPCR:- मदरसों की फंडिंग बंद करने की सिफारिश: NCPCR की नई रिपोर्ट

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मदरसों के फंडिंग को रोकने और मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि मदरसों में पढ़ाई कर रहे बच्चों के अधिकारों और संविधान के अनुसार शिक्षा के मौलिक अधिकारों के बीच टकराव उत्पन्न हो गया है।

NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 11 अक्टूबर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को पत्र भेजा, जिसमें मदरसों में पढ़ाई कर रहे बच्चों को औपचारिक स्कूलों में दाखिल कराने की बात की गई है। रिपोर्ट का शीर्षक है “आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के अधिकार बनाम मदरसा”।

कानूनगो ने पत्र में कहा, “सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर RTE अधिनियम, 2009 के अनुसार स्कूलों में भर्ती कराया जाए।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मुस्लिम बच्चों, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या न हों, को भी औपचारिक स्कूलों में नामांकित किया जाना चाहिए।

आयोग की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि मदरसों में शिक्षित बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसों के पाठ्यक्रम RTE अधिनियम के अनुरूप नहीं हैं और उनमें आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद है। विशेष रूप से, बिहार मदरसा बोर्ड द्वारा ऐसे पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की बात की गई है, जो पाकिस्तान में प्रकाशित होते हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मदरसों में प्रशिक्षित और योग्य शिक्षकों की कमी है। अधिकांश शिक्षण पारंपरिक तरीकों पर आधारित है, जिससे बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है।

NCPCR ने सुझाव दिया है कि राज्य सरकारों को तत्काल कदम उठाकर हिंदू और गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालने की आवश्यकता है। आयोग का मानना है कि मदरसों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग को तत्काल रोका जाना चाहिए, जिससे मदरसा बोर्डों का संचालन खत्म किया जा सके।

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इस रिपोर्ट ने शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जो मदरसों के भविष्य और वहां पढ़ने वाले बच्चों के अधिकारों को लेकर बहस का विषय बनेगा।

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