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Pahalgam Attack: 10 दिन बाद भी आतंकी फरार, जानिए क्यों नहीं पकड़ पा रही सुरक्षा एजेंसियां

श्रीनगर। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले को 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक हमलावरों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। हमले के बाद से सुरक्षाबलों ने व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है, लेकिन दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों और कठिन भूगोल के कारण ऑपरेशन में बाधाएं आ रही हैं।

खतरनाक भौगोलिक बनावट बनी बड़ी चुनौती

दक्षिण कश्मीर के जिन इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है, वे क्षेत्र भूगोल और मौसम की दृष्टि से अत्यंत जटिल माने जाते हैं। ‘इंडिया टुडे’ की OSINT (ओपन सोर्स इंटेलिजेंस) टीम द्वारा तैयार किए गए डिजिटल एलिवेशन मॉडल के अनुसार, यह इलाका ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है, जो आतंकियों के छिपने के लिए आदर्श स्थान बनाता है।

बैसरन घाटी, जो पहलगाम के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, तक पहुंचने के लिए दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। इन रास्तों पर मोटरगाड़ियों की आवाजाही संभव नहीं है और ज्यादातर इलाका पैदल ही तय करना पड़ता है। ऊंचाई की बात करें तो कुछ पहाड़ियाँ 15,000 फीट से भी ऊंची हैं, जिससे तलाशी अभियान और अधिक कठिन हो जाता है।

क्षेत्र में फैले हुए शंकुधारी और घने वृक्ष विजिबिलिटी को भी प्रभावित करते हैं। कश्मीर विश्वविद्यालय के एक वनस्पतिशास्त्री के अनुसार, इन जंगलों में सामान्य दृश्यता 30-35 मीटर होती है, लेकिन कई जगहों पर यह 10 मीटर से भी कम रह जाती है। पेड़ों के बीच की दूरी भी महज 10-20 मीटर है, जिससे अंदर तक देख पाना और संभावित गतिविधियों का पता लगाना बेहद कठिन होता है।

मौसम और तापमान भी बड़ा कारक

रात में तापमान तेजी से गिर जाता है, जिससे तलाशी अभियान प्रभावित होता है। इस वर्ष किश्तवाड़ रेंज में अपेक्षाकृत कम बर्फबारी हुई है, जिससे आतंकियों के आने-जाने के रास्ते खुले रह गए हैं। अनुमान है कि आतंकी इसी रेंज का उपयोग कर जम्मू की ओर निकल सकते हैं या फिर दक्षिण कश्मीर में ही कहीं छिपे हुए हैं।

हाई ट्रेनिंग और रणनीति से लैस आतंकी

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को उच्च स्तर की सैन्य ट्रेनिंग मिली है। सूत्रों के मुताबिक, इन आतंकियों में से एक – हाशिम मूसा – लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है और एक पूर्व पाकिस्तानी पैरा कमांडो रह चुका है। हमले की योजना बेहद सुनियोजित थी और इसमें आधुनिक तकनीकों और भूगोल का भरपूर उपयोग किया गया।

जारी है तलाशी अभियान

सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में घेराबंदी और तलाशी अभियान तेज कर दिया है। संभावित ठिकानों की पहचान की जा रही है और ड्रोन व सैटेलाइट की मदद से निगरानी रखी जा रही है। हालांकि चुनौतीपूर्ण इलाके के कारण अब तक आतंकियों तक पहुंच बनाना कठिन साबित हुआ है।

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हमलावरों की गिरफ्तारी में देरी का कारण केवल सुरक्षा की चूक नहीं, बल्कि जटिल भूगोल, घना वन क्षेत्र, विषम मौसम और प्रशिक्षित आतंकियों की रणनीति है। सुरक्षा एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से कार्यरत हैं और उम्मीद है कि जल्द ही आतंकियों को पकड़ लिया जाएगा।

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