Homeबड़ी खबरेPUNE NEWS:-दिल्ली के लुटियंस जोन मे जमीन लेकर मेरठ में देगे सुप्रीम...

PUNE NEWS:-दिल्ली के लुटियंस जोन मे जमीन लेकर मेरठ में देगे सुप्रीम कोर्ट ऐसे क्यों की सख्त टिप्पणी

Pune महाराष्ट्र: पुणे के पाशन इलाके से 60 साल पहले एक परिवार से ली गई 24 एकड़ जमीन के मुआवजे में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों को तलब करते हुए कड़ी टिप्पणी की और पूछा कि क्या सरकार किसी से दिल्ली के लुटियंस जोन में जमीन लेकर उसके बदले उसे मेरठ में जमीन दे सकती है। जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने की चेतावनी दी।

न्यूज़ हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछते हुए कहा कि क्या दिल्ली के लुटियंस जोन में जमीन लेकर उसके बदले में मेरठ में दी जाएगी। कोर्ट ने अधिकारियों को दिल्ली बुलाने की चेतावनी दी है।

मुआवजे में देरी पर नाराजगी: पुणे के बहिरत परिवार को 60 साल पहले अधिग्रहित जमीन का मुआवजा देने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है।

महाराष्ट्र सरकार ने नई जमीन की पेशकश की: सरकार ने प्रभावित परिवार को नई जमीन देने की पेशकश की, लेकिन कोर्ट ने इससे संतोषजनक समाधान न मिलने की स्थिति में हर ढांचा गिराने की धमकी दी।

विस्तृत जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों को 9 सितंबर को सुनवाई के लिए तलब किया है, क्योंकि अदालत ने इस मामले में सरकार की कार्रवाई को नाकाफी और अवमाननापूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार के हलफनामे में जनहित और संवैधानिक नैतिकता का हवाला देना पर्याप्त नहीं है। जजों ने कड़े शब्दों में कहा कि अगर मामले का समाधान नहीं हुआ, तो वे प्रभावित परिवार से ली गई जमीन पर मौजूद हर ढांचे को गिराने का आदेश देंगे।

इससे पहले 14 अगस्त को भी कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी और कहा था कि सरकार के पास योजनाओं के लिए पैसे हैं, लेकिन इस परिवार को उचित मुआवजा देने के लिए नहीं। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के प्रस्तावित 37 करोड़ रुपये के मुआवजे को नाकाफी बताते हुए इसे अस्वीकार कर दिया।

पुणे के बहिरत परिवार का मामला

1961 में पुणे के पाशन इलाके से बहिरत परिवार से 24 एकड़ जमीन ली गई थी। इस जमीन के बदले उन्हें एक नई जमीन दी गई थी, लेकिन बाद में वह जमीन वन क्षेत्र घोषित कर दी गई। परिवार की मूल जमीन भी रक्षा मंत्रालय को दी जा चुकी है, और इस परिवार को अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला है। संबंधित अधिकारी लगातार टालमटोल कर रहे हैं, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से 9 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई के लिए स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। अदालत ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर हलफनामे पर स्पष्टीकरण भी मांगा है। सरकार को इस मुद्दे का त्वरित और उचित समाधान निकालने के लिए निर्देशित किया गया है ताकि प्रभावित परिवार को न्याय मिल सके।https://g.co/kgs/JtiuPKW

RELATED ARTICLES

Most Popular